पटना: छोटे स्तर पर कानून के साथ खिलवाड़ करने के मामलों में राज्य के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों की गलती व उनकी सजा पर मंथन शुरू हो चुका है. राज्य कारा प्रशासन ने सूबे के सभी जेलों के अधीक्षकों को पत्र लिख कर जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों का पूरा लेखा-जोखा तलब किया है. जेल आइजी के अनुसार यह लेखा-जोखा केंद्रीय गृह मंत्रलय के उस दिशा निर्देश के तहत मांगा गया है, जिसमें कहा गया है कि जेलों में फिलहाल ऐसे हजारों कैदी लंबे समय से बंद हैं. इनके द्वारा किये गये अपराध की सजा भी उतनी नहीं है, जितनी अवधि वे जेलों में काट चुके हैं.
जेल आइजी प्रेम सिंह मीणा ने राज्य के सभी 55 जेलों के जेल अधीक्षकों को पत्र लिख कर सभी विचाराधीन कैदियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा है. पत्र में कहा गया है कि राज्य के जेलों में ऐसे कैदी बड़ी संख्या में बंद हैं जो छोटे अपराधों में जेल गये हैं. मसलन बिना टिकट के रेल यात्र करने या छोटे-मोटे अपराध के मामलों में जिन्हें जेल में बंद किया गया है. गृह मंत्रलय का मानना है कि ऐसे कैदियों की संख्या हजारों में हो सकती है जो अपने जुर्म के लिए निर्धारित सजा से भी अधिक अवधि जेलों में बिता चुके हैं. उधर, जेल सूत्रों का कहना है कि बिहार में भी ऐसे कैदियों की संख्या में हजारों में है.
ऐसे कैदी अपने मुकदमों की पैरवी न कर पाने या जेल से बाहर उनके कोई सगे-संबंधी नहीं होने के कारण जेल में बंद हैं. सूत्र बताते हैं कि बिना टिकट रेल यात्र करने वालों के लिए कानून के तहत छह माह तक की सजा निर्धारित है, लेकिन वे वर्षो से जेलों में बंद हैं.
जेल सूत्रों का कहना है कि बिहार की जेलों से ऐसे कैदी रिहा भी नहीं होना चाहते हैं. क्योंकि जेल से बाहर उनका कोई ठिकाना नहीं है. ऐसे कैदियों के कारण जेलों में अनावश्यक भीड़ बनी रहती है और जेल प्रशासन को इनके भरण-पोषण पर भी धन खर्च करना पड़ता है. बिहार के सभी 55 जेलों में फिलहाल कुल 31,937 कैदियों के रहने की क्षमता है. इनमें कई जेल ऐसे हैं, जहां क्षमता से काफी कम कैदी बंद हैं .
जबकि कई जेलों में क्षमता से कई गुना अधिक कैदियों को रखा गया है. निर्धारित अवधि से अधिक सजा काट चुके कैदियों को सरकार रिहा कराने का अपना स्तर से पहल करेगी और उन्हें मुक्त किया जायेगा.