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एक दर्जन सीटों पर फंसा राजद गंठबंधन

पटना: कांग्रेस, राजद व लोजपा के बीच गंठबंधन एक दर्जन सीटों पर एक-दूसरे की दावेदारी के कारण फंसा है. तीनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत का दौर भले ही जारी हो, लेकिन अगले दस दिनों में सीटों के बंटवारे पर किसी फैसले की उम्मीद नजर नहीं आ रही. अब इस पर फैसला संसद […]

पटना: कांग्रेस, राजद व लोजपा के बीच गंठबंधन एक दर्जन सीटों पर एक-दूसरे की दावेदारी के कारण फंसा है. तीनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत का दौर भले ही जारी हो, लेकिन अगले दस दिनों में सीटों के बंटवारे पर किसी फैसले की उम्मीद नजर नहीं आ रही. अब इस पर फैसला संसद के मौजूदा सत्र के बाद ही संभव है. लोजपा ने पटना में 22 फरवरी की अपनी रैली को भी स्थगित कर दिया है. खास बात यह कि लोजपा की सभी सीटों पर राजद व कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार तैयार कर रखे हैं. लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान व प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस की चुप्पी पार्टी के प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा रही है.

इन सीटों पर फंसा है मामला : जिन सीटों पर मामला फंसा है, उनमें जमुई (सुरक्षित), नवादा, गया (सुरक्षित), समस्तीपुर (सुरक्षित), बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, नालंदा, बेतिया, आरा, शिवहर, सुपौल व काराकाट शामिल हैं. जमुई सीट लोजपा रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के लिए मांग रही है., जबकि यहां से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी खुद चुनाव लड़ना चाहते हैं.लोजपा इस सीट पर अपनी दावेदारी तभी छोड़ने को तैयार होगी, जब उसे गया सीट चिराग पासवान के लिए दे दी जाये. लेकिन, राजद गया से सुरेश पासवान को चुनाव लड़ाना चाहता है. समस्तीपुर से लोजपा रामचंद्र पासवान के लिए अड़ी है. कांग्रेस डॉ अशोक कुमार के लिए इस सीट से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.

नवादा से राजद राजवल्लभ यादव को मैदान में उतारने का मन बना चुका है, जबकि इस सीट पर लोजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह अपनी पत्नी वीणा सिंह या भाई चंदन सिंह के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा चुके हैं. नालंदा से पिछले लोकसभा चुनाव में लोजपा ने सतीश कुमार को उम्मीदवार बनाया था और इस बार अपने राष्ट्रीय महासचिव सत्यानंद शर्मा को उतारना चाहती है, जबकि राजद इस सीट पर पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा या रंजीत डॉन को उम्मीदवार बनाने पर अड़ा है. यही हाल मुजफ्फरपुर का भी है. यहां भी कांग्रेस, लोजपा और राजद तीनों अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं. बेतिया सीट पिछले चुनाव में लोजपा के खाते में थी, लेकिन इस बार राजद रघुनाथ झा को मैदान में उतारना चाहता है, जबकि लोजपा जेल में बंद पूर्व विधायक राजन तिवारी की पत्नी रंजू राजन या उनके भाई राजू तिवारी को लड़ाने की तैयारी में है. आरा से लोजपा पूर्व विधायक रामा सिंह के लिए दावा पेश कर रही है, जबकि राजद इस सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह या पूर्व मंत्री इलियास हुसैन को लड़ाना चाहती है. अगर कांति सिंह या इलियास आरा की जगह काराकाट चले जाते हैं, तब भी राजद का एक मजबूत दावेदार यहां से अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है. काराकाट से कांग्रेस भी दावेदार है और वह यहां से पूर्व मंत्री अवधेश सिंह को उतारना चाह रही है.

असमंजस में कांग्रेस
जब तक आलाकमान का कोई सिगनल नहीं मिलेगा, तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता. आंतरिक तौर पर सभी संभावित प्रत्याशियों को चुनाव की तैयारी में जुट जाने के लिए कहा गया है. कांग्रेस के नेतृत्व में बनने वाले गंठबंधन को कोई अन्य गंठबंधन से चुनौती नहीं है. सीटों को लेकर कहीं-कहीं विवाद हो सकता है, लेकिन उसका भी समाधान हो जायेगा.

प्रभारी प्रेमचंद मिश्र, प्रदेश मीडिया, कांग्रेस

कांग्रेस को उचित सीटें नहीं मिलीं, तो एक बार फिर 2009 का इतिहास बिहार में दुहरा सकता है. पार्टी के बिहार के नेता यही मान कर चल रहे हैं. उनके मुताबिक, कांग्रेस ने सीटों की सूची सहयोगी दलों को उपलब्ध करा दी है. यदि इस पर विचार नहीं हुआ, तो आलाकमान ने दोनों ही स्थितियों में तैयार रहने को कहा है. अब तक गंठबंधन की तसवीर साफ नहीं होने को लेकर कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व परेशान है. टिकट के दावेदार पटना से लेकर दिल्ली तक का दौड़ लगा रहे हैं. आज की तारीख में कांग्रेस का कोई भी नेता यह कहने की स्थिति में नहीं है कि कहां-कहां से कांग्रेस उम्मीदवार देगा. अभी तक संभावित घटक दलों की ओर से गंठबंधन पक्का होने का दावा कुछ दिन पहले तक किया जाता रहा था, लेकिन आलाकमान की चुप्पी के कारण उनका भी अब धैर्य जवाब देने लगा है. खुले तौर पर तो कोई भी नेता कुछ कहने को तैयार नहीं है, अंदर ही अंदर उम्मीदवारी को लेकर बेचैनी छायी है.

पिछले दिनों प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की सूची तैयार की गयी थी. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की अध्यक्षतावाली केंद्रीय छानबीन समिति को संभावित उम्मीदवारों का पैनल सौंपा गया, जिसमें सभी सीटों के लिए दो से तीन नाम थे. समिति की बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी व विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने भाग लिया था. पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक में कोई खास निर्णय नहीं हो पाया. नेताओं को इतना कहा गया कि दोनों ही परिस्थिति यानी गंठबंधन या अकेले सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहें. तैयारी दोनों ही परिस्थिति के लिए हों. बैठक में भाग ले रहे एक नेता का कहना था कि जब तक गंठबंधन पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता. राजद प्रमुख लालू प्रसाद से कई दौर की बातें हुई हैं. दोनों ही पार्टियों का रुख अब तक सकारात्मक दिख रहा है. इंतजार सिर्फ एनडीए व फेडरल फ्रंट के रूख का किया जा रहा है. अगले सप्ताह कुछ तसवीर साफ हो सकती है.

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