पटना: मंगलवार को डीएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों के बाद पीएमसीएच के भी जूनियर डॉक्टर देर रात हड़ताल पर चले गये. उनकी मुख्य मांगों में सीनियर रेजिडेंसी स्कीम व मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना है. जूनियर डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों के बीच कई बार वार्ता हुई, लेकिन मांगें पूरी नहीं हो सकीं. जेडीए के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार ने बताया कि हड़ताल की सूचना कॉलेज के प्राचार्य डॉ एनपी यादव और अस्पताल अधीक्षक डॉ अमरकांत झा अमर को दे दी गयी है. देर रात तक पीएमसीएच, डीएमसीएच व स्वास्थ्य विभाग के बीच बैठक का दौर चलता रहा है, लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकला.
कमेटी ने नहीं ली राय : जूनियर डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनी थी. कमेटी बनाने के पहले इस बात को ध्यान में रखा गया था कि इसमें जूनियर डॉक्टर के एक सदस्य रहेंगे. कमेटी जब भी अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजेगी, तो उनसे राय ली जायेगी, लेकिन कमेटी ने राय नहीं ली.
अवैध है हड़ताल : पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ अमरकांत झा अमर ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार दिया है. उन्होंने कहा, किसी भी हड़ताल पर जाने की सूचना 72 घंटे पहले अस्पताल प्रशासन को देना अनिवार्य है. लेकिन, लगभग साढ़े चार बजे शाम वे मेरे कार्यालय पहुंचे और अचानक हड़ताल पर जाने की लिखित सूचना सौंप दी. यह सही नहीं है. सूचना के बाद जूनियर डॉक्टरों को हॉस्टल खाली करने का निर्देश दिया गया है, ताकि बाहर से आये 50 डॉक्टरों को रहने की जगह मिल सके. इसके लिए सिविल सजर्न से बात हुई है.
हड़ताल को लेकर पीएमसीएच प्रशासन पूरी तरह से तैयार है. पटना सिविल सजर्न डॉ लखींद्र प्रसाद ने बताया कि देर रात तक सभी डॉक्टर पीएमसीएच में तैनात हो जायेंगे. इसको लेकर स्वास्थ्य सचिव का भी दिशा-निर्देश मिला है. स्वास्थ्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि वैकल्पिक व्यवस्था के लिए निर्देश दिया गया है. जहां तक जूनियर डॉक्टरों की मांग है, उस पर सरकार काफी दिनों से काम कर रही है और वह अंतिम चरण में है. इसकी जानकारी उन लोगों को भी है. इसके बावजूद अगर जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर जाते हैं, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण कदम है. इसके बाद सरकार की सहानुभूति जूनियर डॉक्टरों के प्रति खत्म हो जायेगी.