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घर में लॉज चलानेवाले लगा रहे टैक्स की चपत

पटना: शहर में अवैध रूप से चलनेवाले लॉज सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हैं ही, साथ ही इससे सरकार को हर साल करोड़ों की चपत भी लग रही है. लोग आवासीय मकानों में लॉज चला कर टैक्स की चोरी कर रहे हैं. व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल होनेवाले मकानों का टैक्स आवासीय मकानों से तीन गुना […]

पटना: शहर में अवैध रूप से चलनेवाले लॉज सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हैं ही, साथ ही इससे सरकार को हर साल करोड़ों की चपत भी लग रही है. लोग आवासीय मकानों में लॉज चला कर टैक्स की चोरी कर रहे हैं.

व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल होनेवाले मकानों का टैक्स आवासीय मकानों से तीन गुना है. इसे बचाने के लिए लॉज संचालक विभागीय कर्मचारियों से मिलीभगत कर गलत सूचना उपलब्ध कराते हैं, जिस कारण हर साल विद्युत विभाग, नगर निगम को लाखों रुपये की क्षति होती है. सूत्रों का कहना है ये लॉज पुलिस के लिए भी कमाई का जरिया बन चुके हैं, जबकि नगर निगम के अनुसार पटना में एक भी लॉज नहीं है.

इनकम डेढ़ लाख प्रतिमाह: पुलिस सूत्रों का कहना है कि पटना के मुसल्लहपुर, बाजार समिति, सैदपुर, भिखनापहाड़ी, संदलपुर, कंकड़बाग, कदमकुआं, राजीव नगर के 80 फीसदी मकानों का लॉज के रूप में प्रयोग हो रहा है. मुसल्लहपुर के कोईरी टोला, महावीर टोला, कुनकुन सिंह लेन, रमना रोड, बीएम दास रोड, खजांची टोला, महुआ टोला, काजीपुर सहित आधा दर्जन कॉलोनियों में हर मकान का उपयोग लॉज के रूप में होता है. नीचे मकान मालिक रहते हैं और ऊपरी हिस्से में लॉज बना हुआ है. जहां पर एक कमरे में दो से चार छात्र रहते हैं. अधिकांश लॉज तीन से पांच तल्ले का है, जिसमें पांच से 35 कमरे होते हैं.

तीन गुना है टैक्स: नगर निगम के सूत्रों की मानें, तो व्यावसायिक इस्तेमाल में लाये गये मकान, दुकान का टैक्स, आवासीय से तीन गुना है. पटना में मकानों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. इसमें 6 से 54 रुपये प्रति वर्ग फीट टैक्स की वसूली होती है. इसमें 7 से 9 फीसदी तक जल आपूर्ति संबंधित किराया है. ऐसे में किसी तरह से आवासीय मकान का व्यावसायिक उपयोग गलत है.

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