नयी दिल्ली : किशोरावस्था में पटना छोड़ कर अमेरिका में जा बसे भारतीय लेखक अमिताव कुमार अपने गृह नगर को आज तक नहीं भूल पाए और भारत की इस प्राचीन राजधानी के बारे में उन्होंने शब्दों के जरिये अपनी लघु कहानियों में दिलचस्प खाका खींचने की कोशिश की है.
उम्र के 50 वें पड़ाव पर पहुंच चुके कुमार की ये लघु कहानियां गैर काल्पनिक हैं जिसमें उन्होंने भूलीबिसरी यादों को कहानी कहने के तरीके से पेश करने की कोशिश की है.
कुमार की किताब का शीर्षक ए मैटर ऑफ रैट्स ए शॉर्ट बायोग्राफी ऑफ पटना है जिसका हाल ही में भारत में विमोचन किया गया. किताब में पाठकों को कई तरह के चूहों के बारे में पता चलेगा और ये चूहे, लेखक के मुताबिक, बहुस्तरीय शहर में रहते हैं.
एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा जब डेविड देवीदार ने मुझसे मेरे अपने शहर के बारे में लिखने को कहा तो मुझे महसूस हुआ कि अपने शहर से मेरा संपर्क किस हद तक कट गया है. मैंने अपनी जड़ों की ओर देखना शुरु किया. मेरा शहर …. अपने अभिभावकों को उसी तरह छोड़ आने की पीड़ा …. जैसे डूबते जहाज में चूहे…. मेरा मतलब यह नहीं है कि पटना डूब रहा है.