पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में जहां एक ओर लोन वितरण में सुस्ती पर बैंकों को चेतावनी दी, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार को लेकर खरी-खरी सुनायी. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) तो लूट का अड्डा बन गया है. इंदिरा आवास में भी लाभुकों को नाजायज पैसा देना पड़ता है. बैंकों के वरीय अधिकारी गांव में जायेंगे, तब उन्हें बैंकों की असली हकीकत का पता चलेगा. इस पर रोक के लिए बैंकों के शीर्ष प्रबंधन को कड़ा निर्णय लेना होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर बैंकों ने राज्य में निवेश नहीं किया, तो सरकार बैंकों में धन रखने पर रोक लगायेगी. कुछ बैंकों में सरकारी धन रखने पर रोक भी लगी है. यह अच्छा संदेश नहीं है. लेकिन, सरकार को मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा है. बैंकर डरते हैं कि अगर बिहार के लोगों को पैसा दिया, तो डूब जायेगा. बैंकरों को यह भी देखना चाहिए कि राष्ट्रीय स्तर पर कितने बड़े लोग कितनी बड़ी राशि लेकर डकार गये हैं. बिहार में बैंकों को तो डिपोजिट के लिए अभियान नहीं चलाना पड़ता है. जरूरतमंदों को ऋण देना बैंकों का वाणिज्यिक दायित्व है.
57 लाख परिवारों का खाता नहीं : राज्य में बैंकों की 750 शाखाएं खोलने का लक्ष्य था, जिसके विरुद्ध सिर्फ 76 शाखाएं ही खुल पायी है, जो चिंताजनक है. राज्य में अभी भी लगभग 57 लाख से अधिक परिवारों का बैंक से संबंध नहीं है. राज्य में 5452 पंचायतें ऐसी हैं, जहां बैंकों की कोई शाखा नहीं है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि बैंक अपने लक्ष्य को हर हाल में हासिल करें. चिट-फंड कंपनियों पर रखें नजर : आरबीआइ के क्षेत्रीय निदेशक एनके वर्मा ने कहा कि बैंकों को हर हाल में लक्ष्य हासिल करना होगा. चिट-फंड कंपनियों के जाल को सख्ती से रोकना होगा. बैंकों को ऋण वसूली पर विशेष ध्यान देना होगा.