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सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलने से किन्नरों में उत्साह

पटना: किन्नर भी अब आम लोगों की तरह कदम-से-कदम मिला कर चलेंगे. उन्हें भी हर क्षेत्र में मौका मिलेगा. बिहार सरकार द्वारा किन्नर समाज को नौकरी में आरक्षण देने से उनमें खुशी की लहर है. अभी तक किन्नर समाज मेल-फीमेल के बीच ही फंसा हुआ था. भले किन्नर फीमेल स्वभाव के हों, कम्युनिटी के बीच […]

पटना: किन्नर भी अब आम लोगों की तरह कदम-से-कदम मिला कर चलेंगे. उन्हें भी हर क्षेत्र में मौका मिलेगा. बिहार सरकार द्वारा किन्नर समाज को नौकरी में आरक्षण देने से उनमें खुशी की लहर है.

अभी तक किन्नर समाज मेल-फीमेल के बीच ही फंसा हुआ था. भले किन्नर फीमेल स्वभाव के हों, कम्युनिटी के बीच फीमेल जैसा उनके काम हों, लेकिन समाज में उन्हें मेल पर्सन की तरह रखा जाता है. पहले किन्नरों को थर्ड जेंडर के रूप में पहचान मिली. बिहार में नौकरी में आरक्षण मिलने से वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ेंगे.

बैंक में करना चाहती हूं नौकरी

मैं पढ़ी-लिखी किन्नर हूं. मैं नौकरी करना चाहती हूं, लेकिन अपनी पुरानी परंपरा को साथ लेकर चलना भी चाहती हूं. समाज के लोग हमें अपने घर बधाइयां देने को बुलाते हैं. यह शुभ है. ऐसे में हम इसे नहीं छोड़ सकते हैं. मैं बैंक की नौकरी करना चाहती हूं. इसके लिए न सिर्फ आवेदन फॉर्म भरी हूं, बल्कि कॉमर्स की पढ़ाई भी उसी वजह से कर रही हूं.

अनुप्रिया, छात्र, बीए थर्ड पार्ट, वाणिज्य कॉलेज

आज भी हैं पहचान की दिक्कतें

यह सच है कि सरकार की वजह से समाज की मुख्य धारा में हमलोग जुड़ रहे हैं. पहले थर्ड जेंडर की घोषणा, अब बिहार सरकार द्वारा नौकरी में आरक्षण सराहनीय कदम है. लेकिन, पहचान को लेकर हमें आज भी दिक्कतें होती हैं. किसी भी आवेदन फॉर्म में दो ही जेंडर मेल व फीमेल के ऑप्शन होते हैं. हमें इन्हीं में से एक चुनना होता है.

सागरिका

बिहार सरकार की सराहनीय पहल

बिहार सरकार की ओर से नौकरी में आरक्षण की घोषणा स्वागतयोग्य कदम है. अब देख लीजिए कि मैं इग्नू से ग्रेजुएशन कर चुकी है. इसके अलावा मैंने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में कथक में भी डिग्री ली है. इसके बाद भी कोई पहचान नहीं मिली. लेकिन, अब थर्ड जेंडर का ऑप्शन होने से हम खुले रूप से सामने आयेंगे.

सुमन, ग्रेजुएट, इग्नू

पंचायतों में भी मिले आरक्षण

नौकरी में आरक्षण की घोषणा प्रशंसनीय है, लेकिन समाज की मुख्य धारा में व्यापक रूप से लाने के लिए किन्नर समाज को पंचायत स्तर पर भी आरक्षण देने की जरूरत है. बिहार में पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण लागू है, इसमें किन्नरों को कुछ-न-कुछ आरक्षण मिलना चाहिए. इससे समाज के हर क्षेत्र में हमलोगों का आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.

रेशमा

किन्नरों में जगी है नयी उम्मीद
40 साल से मैं अपने अधिकार की मांग कर रहा था. किन्नर समाज में भी अलग-अलग क्षेत्रों में लोग जाना चाहते हैं. ज्यादातर लोग शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते है. मैंने तो अपने समाज के फंड से गायघाट के पास एक स्कूल खोला था, लेकिन वह चल नहीं पाया. हां, अब सरकार की इस घोषणा से जीवन में नयी उम्मीद जगी है.

ललन गुरु

नहीं ले सका एएन कॉलेज में नामांकन
जाति प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण में एएन कॉलेज में एडमिशन नहीं ले सका था. उस समय मैं साइकोलॉजी से ग्रेजुएशन करने के लिए एएन कॉलेज में अप्लाइ किया. कॉलेज प्रशासन ने उसका नामांकन नहीं लिया. ओबीसी केटेगरी में रहने के बाद भी दो नंबर से मेरिट लिस्ट में छंट गया. मेल केटेगरी की सीटें भर चुकी थीं. बाद में नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी में नामांकन लिया.

वीरेंद्र कुमार

Prabhat Khabar Digital Desk
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