पटना:अलकायदा की धमकी के बाद आतंकी संगठन उन नये क्षेत्रों में अपनी पैठ जमाने के लिए धन जुटाने की मुहिम में जुट चुके हैं. अपराध के रास्ते धन जुटाने की इस मुहिम को उन्होंने ‘माल-ए-गनीमत’ की संज्ञा दी है. ‘माल-ए-गनीमत’ को जुटाने के लिए ‘स्टूडेंट्स इसलामिक मूवमेंट इन इंडिया (सिमी)’ और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों ने बैंक डकैती, बैंक लूट के साथ नशीले पदार्थो की तस्करी तक में अपनी पहुंच बना ली है. हालांकि एनआइए ने हाल के दिनों में ‘सिमी’ व इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों के कई आतंकियों को इस मामले में चिह्न्ति कर उन्हें दबोचने में भी सफलता पायी है, लेकिन ‘माल-ए-गनीमत’ को जुटाने में लगे कई आतंकी अभी भी सुरक्षा व जांच एजेंसियों की पकड़ से दूर हैं.
पटना ब्लास्ट की जांच के दौरान ही एनआइए ने मध्य प्रदेश के खंडाला जेल में सुरंग खोद कर फरार होनेवाले सिमी के आतंकी डॉ अबु फैजल को धर दबोचा था. फैजल वह शख्स है, जिससे पटना में नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान उन्हें निशाना बनाने के लिए हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी को करीब पांच लाख रुपये दिये थे. एनआइए की पूछताछ में अबु फैजल ने कैमरे के सामने स्वीकार किया है कि ये पैसे उसके द्वारा मध्य प्रदेश में बैंक लूट की पांच वारदातों से जुटाये गये थे. इनमें भोपाल के मणप्पुरम गोल्ड नामक एक वित्तीय संस्था में वर्ष 2010 में डाका डाल कर करीब ढ़ाई करोड़ रुपये के स्वर्णाभूषण उड़ाने का मामला भी शामिल है.
अबु फैजल ने पूछताछ में एनआइए को यह भी बताया है कि उसने लूटे गये स्वर्णाभूषण को भोपाल के ही एक स्वर्ण व्यवसायी पप्पू भाई को सौंपा था. पप्पू भाई उसे किस्तों में स्वर्णाभूषण की कीमत का भुगतान करता था. पटना में ब्लास्ट से करीब दो सप्ताह पूर्व ही पप्पू भाई ने रायपुर से गिरफ्तार उमेर सिद्दीकी के हाथों हैदर अली को तीन लाख रुपये भिजवाये थे, जबकि उससे पूर्व अबु फैजल ने भी हैदर को दो लाख रुपये दिये थे. दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद अबु फैजल को एनआइए ने पटना ब्लास्ट के करीब एक महीने बाद फिर से गिरफ्तार किया था. फैजल ने अपने बयान में कबूल किया है कि उसने मध्य प्रदेश में सिमी के छह-छह सदस्यों को संगठित कर बैंक लूट, डकैती व नशीले पदार्थो की तस्करी के लिए कई गिरोह तैयार कर रखे हैं. एनआइए इन गिरोहों के सदस्यों की तलाश में है.
क्या है ‘माल-ए-गनीमत’
अपराध के रास्ते जुटाये गये धन को इसलाम में हराम बताया गया है,लेकिन आतंक की दुकानदारी के लिए इन आतंकी संगठनों ने धन जुटाने के लिए अपराध की दुनिया को रास्ता अपनाया है. पटना ब्लास्ट में पकड़े गये कई आतंकियों ने अपने बयान में ‘माल-ए-गनीमत’ की चर्चा की है. माल-ए-गनीमत को ये आतंकी केवल जिहाद के लिए खर्च करते हैं, जबकि खुद पर इस रकम को खर्च करना वे हराम मानते हैं. हैदर अपनी आतंकी गतिविधियों के संचालन के लिए इस तरह के धन एकत्रित करने का काम करता रहा है.