पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि डॉक्टर बीमारी के रोकथाम पर चर्चा करें. बीमार होने पर मरीज को दवा खिलायें, लेकिन यह भी देखें कि बीमारी की जड़ कहां है.
क्या बीमारी को बिना दवा खिलाये ठीक रखा जा सकते है या नहीं ? उक्त बातें सीएम हाइपरटेंशन समिट के उद्घाटन के मौके पर कह रहे थे. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पहले बीमारी का बिना दवा इलाज होता था. अब हमारी संस्कृति बदल गयी है.
हमारी उम्र भी घट गयी है. खान-पान व रहन सहन में हुए बदलाव ने समय से पहले बूढ़ा बना दिया है. लोग तीस वर्ष की उम्र के बाद ही दवा पर जीने लगते हैं. उसके बाद बीपी व मधुमेह उनके साथ चलता है. ऐसे में हमें स्वस्थ रहने के लिए दोबारा अपनी पुरानी संस्कृति में लौटना होगा. वरना आज बीपी है कल कोई और बीमारी होगी.
जागरूकता की कमी
स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने कहा कि गांवों में बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. सबसे बड़ा कारण है बीमारियों के प्रति जागरूकता की कमी. लोगों को कैसे रहना है. इसकी जानकारी कम है. गांव का शहरीकरण होता जा रहा है और बीमारियां बढ़ती जा रही है. उन्होंने चिकित्सकों से आग्रह किया कि वह गांव के लोगों को जागरूक करें. इसके बाद ही समाज से बीमारी खत्म होगी. मौके पर डॉ बीपी सिंह, डॉ बसंत सिंह, डॉ एके झा, डॉ राजीव रंजन प्रसाद , डॉ एसएन आर्या , डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह, डॉ अजय कुमार सिन्हा, डॉ एनआर विश्वास मौजूद थे.