पटना: राज्य के सभी बालू घाटों की बंदोबस्ती अब नयी बालू नीति के तहत एक जनवरी, 2015 से पांच साल के लिए होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में तैयार नयी नीति में बालू खनन से पहले उसकी पूरी योजना देना जरूरी होगा. बालू खनन में पर्यावरण और सुरक्षा उपायों का पूरा ध्यान रखना होगा. नयी बालू नीति में घाटों की इकाई भी तय की गयी है.
इकाई के अनुरूप होगी बंदोबस्ती: किसी जिले में अवस्थित पूरी नदी को एक खंड माना जायेगा. इसी तरह हर जिले की सभी नदियों को अलग-अलग खंड मान कर एक साथ एक इकाई के रूप में उनकी बंदोबस्ती होगी. सूत्रों के अनुसार भोजपुर, पटना और सारण जिलों को एक इकाई माना जायेगा. इसी तरह रोहतास व औरंगाबाद और जमुई व लखीसराय अलग-अलग इकाई होंगे. इनके अलावा अन्य जिलों को अलग-अलग इकाई मान कर बंदोबस्ती करने का प्रस्ताव है.
जमा करना होगा प्रमाणपत्र : बालू खनन के लिए सैद्धांतिक मंजूरी का आदेश जारी होने की तारीख से 90 दिनों के अंदर पूरी खनन योजना दाखिल कर उसे सरकार से मंजूर कराना होगा. इसके तहत बालू खनन करनेवाले को नयी बालू नीति के पर्यावरण स्वच्छता प्रमाणपत्र लेना होगा.डाक में सफल होनेवाले को बंदोबस्ती राशि का दो प्रतिशत बालू खनन क्षेत्रों के पुनरुद्धार और पुनर्वास के लिए अलग कोष के रूप में सरकार द्वारा निर्धारित मद में जमा करना होगा.