पटना: लोकसभा चुनाव में जदयू के खराब प्रदर्शन और मतभेद का सामना कर रहे हुए नीतीश कुमार ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन विधानसभा भंग करने की सिफारिश नहीं की.
राजभवन की ओर से जारी बयान के अनुसार बिहार के राज्यपाल डी वाई पाटिल ने नीतीश और उनकी कैबिनेट का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव के नतीजे हमारे लिए अच्छे नहीं रहे. जनादेश का सम्मान होना चाहिए. इसलिए मैंने मंत्रिपरिषद का इस्तीफा सौंप दिया. मैंने चुनाव अभियान का नेतृत्व किया. इसलिए इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेना मेरा कर्तव्य है और मुझे लेनी भी चाहिए.’’ उनके साथ मौजूद जदयू प्रमुख शरद यादव ने कहा कि बिहार में नई सरकार का गठन किया जाएगा और जदयू इसका हिस्सा होगी.
उन्होंने कहा कि नए मुख्यमंत्री के बारे में रविवार को फैसला होगा. यादव ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के लिए राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मतभेदों को दूर किया जाए. राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा में जदयू के 115, भाजपा के 89 और राजद के 21 सदस्य हैं. जदयू को कांग्रेस के चार और भाकपा के एक तथा दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन है.
नीतीश ने पटना में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि कल लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के दौरान मीडिया के कई मित्रों ने उनसे संपर्क किया था और यह जानना चाहा था कि उन्हें कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करनी है या नहीं तो उनसे उन्होंने कहा था कि कल बातचीत करेंगे.
नीतीश ने कहा कि बिहार में अपनी पार्टी के चुनाव अभियान का वह नेतृत्व कर रहे थे और जो चुनाव परिणाम आए हैं, उसकी वे जिम्मेदारी लेते हैं. उन्होंने कहा कि इस समय यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा कि पूरे चुनाव अभियान के दौरान मुद्दों और नीतियों पर बात कम हो रही थी, आरोप-प्रत्यारोप का दौर ज्यादा चल रहा था.
नीतीश ने कहा कि व्यक्तिगत टिप्पणियां की जा रही थीं. शायद इस स्तर का चुनाव प्रचार मैंने अपने राजनीतिक जीवन में नहीं देखा. उन्होंने कहा कि इस दौरान हमलोगों पर भी तीखी टिप्पणियां की गयी जबकि हमने सारी मर्यादाओं का पालन करते हुए अपना ध्यान मुद्दों पर केंद्रित रखा. हमने जो भी काम किया है उसी के आधार पर हमलोग जनता के बीच गए थे.
लोकसभा चुनाव परिणाम के बारे में नीतीश ने कहा कि वे जनादेश का सम्मान करते हैं और अपेक्षित समर्थन उन्हें नहीं मिला तो उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया है. उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद का भी त्यागपत्र राज्यपाल महोदय को दे दिया गया है जिसकी सूचना वे अब मीडिया को दे रहे हैं.
नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद से और मंत्रिपरिषद का इस्तीफा सौंपा है, बिहार विधानसभा को भंग करने की कोई सिफारिश नहीं की गयी है.
उन्होंने कहा कि विधानसभा को भंग करने की वह सिफारिश नहीं कर सकते क्योंकि इस विधानसभा को गठित करने के लिए वर्ष 2010 में जो अभियान (चुनाव) हुआ था उसमें उनकी प्रमुख भूमिका थी इसलिए वह नहीं चाहते कि इसे भंग करने की सिफारिश की जाए.
नीतीश ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है और अब कोई भी वैकल्पिक सरकार बनने के द्वारा खुले हुए हैं. विधानसभा में दलों की संख्या के आधार पर जो भी प्रक्रिया होगी राज्यपाल महोदय उसे देखंेगे क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र का मामला है.
उन्होंने कहा कि कल हमारी पार्टी जदयू के विधायक दल की बैठक अपराहन चार बजे बुलायी गयी है और आगे जो भी भूमिका उनकी पार्टी की होगी उस पर गौर किया जाएगा.
नीतीश ने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष से उनकी लंबी बातचीत हुई है और उनसे और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष तथा पार्टी के अन्य वरिष्ठ साथियों के साथ से परामर्श करने के बाद हमने अपनी राय रखी थी जिसपर उन्होंने अपनी सहमति प्रकट की जिसके बाद राज्यपाल महोदय से मिलने के लिए समय मांगा और आज करीब सवा तीन बजे उन्हें त्यागपत्र सौंप दिया.
लोकसभा चुनाव परिणाम के बारे नीतीश ने कहा कि जो चुनाव के नतीजे आए हैं उसका विश्लेषण विस्तृत तौर पर बाद में किया जाएगा और हमलोग अपनी पार्टी में भी इसकी चर्चा करेंगे. लेकिन पूरे बिहार में जो रुझान देखने को मिला और जो परिणाम आए हैं वे यह प्रमाणित करते हैं कि इस तरह का साम्प्रदायिक आधार पर मतों का धुव्रीकरण शायद ही कभी इस देश में हुआ है.
नीतीश कुमार ने कहा कि इसके जो स्वरुप सामने आए हैं वह देश के लिए अच्छे नहीं हैं लेकिन चुनाव में जनादेश आता है. जनता ने वोट दिया है और जनादेश का सम्मान होना चाहिए इसलिए हमलोगों ने इस जनादेश का सम्मान किया है.
नीतीश ने कहा कि जनादेश का अंतिम परिणाम हैं उसमें किसी प्रकार का भ्रम नहीं है. वह स्पष्ट है, भारतीय जनता पार्टी को मिला है. अब वे सरकार चलाएंगे. उन्होंने भाजपा के नारे की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब अच्छे दिन आ गए हैं. अच्छे दिन का अनुभव सबलोग करेंगे. हमारी पूरी शुभकामना है.
नीतीश कुमार ने कहा कि वर्तमान सरकार को बहुमत का कोई संकट नहीं है ऐसे में सरकार चाहे तो वह बनी रह सकती थी इसमें कोई कठिनाई नहीं है पर लोकसभा चुनाव के जो नतीजे आए हैं उसकी व्यक्तिगत रुप से नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए उन्होंने यह निर्णय लिया.
यह पूछे जाने पर कि आगे जदयू के विधायक अगर उन्हें अपना नेता चुनते हैं तो क्या वे फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं, नीतीश ने कहा कि बहुमत का दावा उन्होंने अपने संबंध में नहीं किया है. नीतीश ने कहा कि बिहार की वर्तमान सरकार को कांग्रेस, भाकपा और कुछ निर्दलीय विधायक समर्थन दे रहे थे. बिहार विधानसभा की दलगत स्थिति के आधार पर बहुमत को लेकर किसी प्रकार का संकट नहीं है लेकिन वह इसे अपनी नैतिक जवाबदेही मानते हैं क्योंकि जदयू और भाकपा गठबंधन के लोकसभा चुनाव अभियान का नेतृत्व वह कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि कल होने वाली उक्त बैठक के दौरान जदयू विधायक दल अपना नेता चुनने को लेकर विचार करेंगे.यह पूछे जाने पर कि भाजपा के साथ पिछले वर्ष नाता तोडने का निर्णय का क्या गलत था, नीतीश कुमार ने कहा कि बिल्कुल सही निर्णय था और यह बहुत जरुरी था तथा वह किसी रणनीति के तहत लिया गया निर्णय नहीं था.
उन्होंने कहा कि जदयू का भाजपा से नाता तोडने का निर्णय सिद्धांत के आधार पर लिया गया था और उसके बाद हमलोगों ने स्पष्ट तौर पर उसके कारणों की व्याख्या भी की थी उसकी पृष्ठभूमि महीनों से तैयार हुई थी. नीतीश ने कहा कि परिणामों के आधार पर हम अपने निर्णयों को नहीं आंकते. परिणाम कभी अच्छे आएंगे कभी नहीं आएंगे.