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गरीब बच्चों को मिल रहा मुफ्त ज्ञान एनआइटी पटना के स्टूडेंट्स अपनी की पढ़ाई करने के साथ ही कॉलेज कैंपस के आस-पास रहने वाले गरीब बच्चों को हर दिन शाम 5 से 7 बजे तक निशुल्क पढ़ाते हैं. ‘संकल्प’ नाम से चलाये जा रहे इस अभियान में एनआइटी में 264 स्टूडेंट्स पूरी तन्मयता से लगे […]

गरीब बच्चों को मिल रहा मुफ्त ज्ञान

एनआइटी पटना के स्टूडेंट्स अपनी की पढ़ाई करने के साथ ही कॉलेज कैंपस के आस-पास रहने वाले गरीब बच्चों को हर दिन शाम 5 से 7 बजे तक निशुल्क पढ़ाते हैं. ‘संकल्प’ नाम से चलाये जा रहे इस अभियान में एनआइटी में 264 स्टूडेंट्स पूरी तन्मयता से लगे हुए हैं. ये सभी बारी-बारी से इन सभी छोटे बच्चों को सभी विषय पढ़ाते हैं. फिलहाल दूसरी से नौवीं कक्षा तक के बच्चों को संकल्प के अंतर्गत शिक्षा दी जा रही है. इनमें से कुछ बच्चों को परीक्षा के आधार पर चुन कर नवोदय विद्यालय में दाखिले के लिए भी तैयारी करवा रहे हैं.

ये 264 एनआइटीयंस हर सेमेस्टर 200 रु पये प्रति स्टूडेंट लेकर कुल 52800 रु पये जमा करते है, जिससे इन सभी गरीबी बच्चों की जरूरतें पूरी की जाती हैं. कॉपी, किताब, स्कूल की फीस आदि सभी इसी पैसे से भरे जाते हैं. समय-समय पर इन छोटे बच्चों को जांचने के लिए परीक्षा भी होती है. इस ज्ञान प्रकाश को फैलाने में अंतिम वर्ष के छात्र अंकित कुमार केशन की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है. जिन्होंने एक समय अपने घर से पैसे लगा कर इन सभी बच्चों के शिक्षा में कोई रुकावट नहीं आने दी.

बिहार को आइटी हब बनाने का अरमान

।। राकेश ।।

मोतिहारी : बिहार को इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (आइटी) के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की मुहिम में जुटा है अंकुर अरमान. पूर्वी चंपारण में पला-बढ़ा अंकुर पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन व माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक विल गेट्स से भी प्रशंसा पा चुका है. छोटी सी उम्र में अंकुर ने आइटी क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं.

अंकुर मोतिहारी के चांदमारी मोहल्ले में रहता है. उसके पिता का नाम राधाकांत तिवारी व मां का नाम रीता तिवारी है. प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से की है. एमएस कॉलेज मोतिहारी से स्नातक करने के बाद अंकुर ने पटना विवि से एमसीए की पढ़ाई पूरी की.

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर किताब

15 वर्ष की आयु में ही अंकुर ने ट्रांसमीटर की तकनीक बनायी, हालांकि वह चर्चित नहीं हो सका. इसके बावजूद आइटी क्षेत्र में बेहतर करने का जुनून और बढ़ता गया. 2011 में अंकुर ने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग परलेट्स प्रोग्रामिंग नामक किताब लिखी. इस पुस्तक को पटना विवि के स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया. अंकुर ने उस पुस्तक की रॉयलिटी भी नहीं ली. कंप्यूटर शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से अंकुर ने हिंदी में टेक्निकल एजुकेशन नेक्स्ट वेबसाइट बनायी है.

24 मई 2011 को मानव संसाधन विकास मंत्री पीके शाही ने विकास भवन में उक्त वेबसाइट का लोकार्पण किया. अंकुर का दावा है कि कंप्यूटर से संबंधित किसी भी समस्या का समाधान वेबसाइट के माध्यम से 24 घंटों में निकाल सकता है.

वेबसाइट का जल्द लोकार्पण

अंकुर वेकअप नाम की वेबसाइट बनायी है, जिसका जल्दी ही लोकार्पण होना है. प्रखंड व पंचायत स्तर पर कंप्यूटर शिक्षा केंद्र की स्थापना करना अंकुर की अगली योजना है. इसके तहत 12 कंप्यूटर शिक्षा केंद्र शुरू किया है, जहां ग्रामीणों को कंप्यूटर व टैबलेट चलाने के लिए आवश्यक जानकारी सहित एटीएम, मोबाइल, किसान कॉल सेंटर की जानकारी दी जा रही है.

लंबे समय तक रोबोटिक्स में काम करते हुए रोबोट बनाने में भी सफलता प्राप्त की है. इसका नमूना भी तैयार किया है. यह घरेलू काम करने में माहिर होगा. अंकुर को फिलीपींस के बुलावा आया है, जहां सम्मानित किया जायेगा.

बदल जाएगी विज्ञान की दुनिया

शायद आने वाले समय में दुनिया इनके शोध से पूरी तरह बदल जाएगी. कैंसर की दवाई से लेकर एक्स-रे मशीन के सस्ती होने की उम्मीद की जा सकती है. कई वैज्ञानिक शोध के नतीजे जल्दी और सटीक मिलेंगे, वह भी कम खर्च में. इनसे जुड़ा एक शोध पटना में भी चल रहा है. आइआइटी पटना में लेजर प्लाज्मा एक्सेलरेटर के कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए बीटेक में तीसरे वर्ष के छात्र साई अखिल रेड्डी सीइबीएस और बार्क, मुंबई के साथ मिलकर शोध कर रहे हैं.

पूरे विश्व में इस विषय पर सिर्फअमेरिका के ही दो शहरों लॉस एंजेल्स और शिकागो में शोध हो रहा है. फिलहाल विज्ञान के क्षेत्र में प्लाज्मा एक्सेलरेटर की जगह लीनियर एक्सेलरेटर इस्तेमाल होता है. यह कई किलोमीटर में फैला हुआ विशालकाय और खर्चीला भी होता है. फिलहाल प्लाज्मा एक्सेलरेटर का व्यवहारिक इस्तेमाल नहीं हो पाया है. इस शोध के सफल होने पर प्लाज्मा एक्सेलरेटर सिर्फ एक टेबल पर समा सकेंगे. इसके लिए साई पिछले साल जापान में हुए एक सेमिनार से भी होकर आ चुके है.

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