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नेशनल गेम्स में करोड़ों का घोटाला: महासचिव एसएम हाशमी व पीसी मिश्र गिरफ्तार

रांची: झारखंड में संपन्न 34 वें नेशनल गेम्स (2011) के लिए सामग्री की खरीद में हुई गड़बड़ी को लेकर निगरानी विभाग ने मंगलवार को एसएम हाशमी और पीसी मिश्र को गिरफ्तार कर लिया. एसएम हाशमी झारखंड ओलिंपिक एसोसिएशन के महासचिव हैं. पूर्व खेल निदेशक आइएफएस अधिकारी पीसी मिश्र वर्तमान में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक […]

रांची: झारखंड में संपन्न 34 वें नेशनल गेम्स (2011) के लिए सामग्री की खरीद में हुई गड़बड़ी को लेकर निगरानी विभाग ने मंगलवार को एसएम हाशमी और पीसी मिश्र को गिरफ्तार कर लिया. एसएम हाशमी झारखंड ओलिंपिक एसोसिएशन के महासचिव हैं. पूर्व खेल निदेशक आइएफएस अधिकारी पीसी मिश्र वर्तमान में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक हैं.

सदर अस्पताल में हुई मेडिकल जांच : दोनों की गिरफ्तारी निगरानी ब्यूरो के कार्यालय से हुई. केस के अनुसंधानक निगरानी एएसपी आनंद जोसेफ तिग्गा ने दोनों को पूछताछ के लिए मंगलवार शाम निगरानी ब्यूरो के कार्यालय में बुलाया था. जांच के दौरान निगरानी ने दोनों के खिलाफ 28,38,09,000 (28 करोड़ 38 लाख) रुपये की गड़बड़ी में शामिल होने के आरोप को सही पाया था. गिरफ्तारी के बाद एएसपी श्री तिग्गा दोनों को मेडिकल जांच के लिए सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. जांच के बाद दोनों को मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत किया गया. इसके बाद बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में भेज दिया गया.

चार के खिलाफ दर्ज है प्राथमिकी

खेल सामग्री की खरीद में हुई गड़बड़ी को लेकर कुश्ती संघ के महासचिव भोला नाथ सिंह ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट के आदेश पर निगरानी विभाग ने छह अक्तूबर 2010 को मामला (कांड सं 49/2010 ) दर्ज किया था. इसमें एसएस हाशमी, पीसी मिश्र के अलावा झारखंड ओलिंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष व पूर्व सांसद आरके आनंद और कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक को भी नामजद आरोपी बनाया गया था.

क्या है प्राथमिकी में

प्राथमिकी में करीब 200 करोड़ रुपये के सामान की खरीद में 50 करोड़ से अधिक के गबन की आशंका जतायी गयी थी. सभी के खिलाफ भादवि की धारा 420, 409, 120बी, 467, 468, 471, 109, 406 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 13(2) सह पठित 13(डी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

कैसे हुई थी गड़बड़ी

नेशनल गेम्स के लिए सामान की खरीदारी राज्य सरकार के नियमों के अनुसार टेंडर के जरिये की जानी थी. पर खरीदारी नॉमिनेशन के आधार पर हुई. आरोप है कि बाजार मूल्य से अधिक दर पर सामान खरीदे गये. मामले में आरोपी बनाये गये लोगों का कहना था कि झारखंड सरकार के वित्तीय नियम एनजीओ पर लागू नहीं होते. बाद में निगरानी ब्यूरो ने वित्त विभाग को पत्र लिख कर दिशा-निर्देश मांगा था. वित्त विभाग ने बताया था कि एनजीओ को सामान की खरीदारी और आयोजन के लिए झारखंड सरकार ने 200 करोड़ से अधिक की राशि दी थी. इसलिए सरकार के वित्तीय नियम एनजीओ पर लागू होंगे.

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