एमएस धोनी की कप्तानी में रविवार को चेन्नई सुपर किंग्स एक बार फिर जीत की पटरी पर लौट गया है. सीएसके ने कल सनराइजर्स हैदराबाद को 13 रनों से हराया. ऋतुराज गायकवाड़ और डेवन कॉनवे ने रिकॉर्ड 182 रन की साझेदारी की. सीएसके ने एसआरएच को 203 रनों का लक्ष्य दिया. निकोलस पूरन की नाबाद 33 गेंदों में 64 रनों की पारी के बावजूद सनराइजर्स हैदराबाद 189-6 पर सिमट गया.
धोनी की कप्तानी में जीता सीएसके
चेन्नई सुपर किंग्स ने नौ मैचों में छह अंक तक पहुंचने के लिए सीजन की अपनी तीसरी जीत दर्ज की. एमएस धोनी पर सबकी निगाहें थी. उनका पुणे के एमसीए स्टेडियम में जोरदार स्वागत हुआ. सीएसके के आठ मैचों में छह हार के बाद रवींद्र जडेजा के कप्तानी छोड़ने के फैसले के बाद मौजूदा सत्र से पहले कप्तानी छोड़ने वाले 40 वर्षीय धोनी ने शनिवार को वापस कप्तानी स्वीकार कर ली.
पिछले साल का चैंपियन है सीएसके
सीएसके ने पिछले साल धोनी के नेतृत्व में अपना चौथा आईपीएल खिताब जीता था. भारत के पूर्व कप्तान किसी को इस जिम्मेदारी के लिए तैयार करना चाहते थे. जिससे जडेजा को कप्तान के रूप में नियुक्त किया गया. लेकिन धोनी ने खुलासा किया कि कप्तानी के दबाव ने जडेजा पर भारी असर डाला और उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन को भी प्रभावित किया.
धोनी ने बतायी वजह
धोनी ने कहा कि मुझे लगता है कि जडेजा को पिछले सीजन में ही पता था कि वह इस साल कप्तानी करेंगे. पहले दो मैचों के लिए, मैंने उनके काम की निगरानी की और उन्हें बाद में छोड़ दिया. उसके बाद, मैंने जोर देकर कहा कि वह अपने फैसले और उनके लिए जिम्मेदारी खुद लेंगे. एक बार जब आप कप्तान बन जाते हैं, तो इसका मतलब है कि बहुत सारी मांगें आती हैं. लेकिन जैसे-जैसे कार्य बढ़ते गये, इससे उनके दिमाग पर असर पड़ा. मुझे लगता है कि कप्तानी ने उनकी तैयारी और प्रदर्शन पर बोझ डाल दिया.
मैदान पर कप्तान को ही लेने होते हैं फैसले
धोनी ने आगे कहा मैंने उनको सबकुछ करने के लिए छोड़ दिया ताकि उनको सीजन के अंत में यह न लगे कि कप्तानी किसी और के द्वारा की गयी थी और मैं सिर्फ टॉस के लिए जा रहा था. मैदान पर आपको वे महत्वपूर्ण निर्णय लेने होते हैं और आपको उन निर्णयों की जिम्मेदारी लेनी होती है. एक बार जब आप कप्तान बन जाते हैं तो हमें कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है और इसमें आपका अपना खेल भी शामिल है.