श्रीलंका के पूर्व कप्तान सनथ जयसूर्या ने रविवार को एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष और बीसीसीआई सचिव जय शाह से मुलाकात की और अपने देश में क्रिकेट से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की. जयसूर्या ने सोशल मीडिया पर शाह के साथ एक तस्वीर साझा की और लिखा कि बीसीसीआई सचिव से मिलना उनके लिए सम्मान की बात है. जयसूर्या ने शाह को एक छोटी सूचना पर उनसे मिलने के लिए सहमत होने के लिए भी धन्यवाद दिया. तस्वीर में उन्हें एक अन्य व्यक्ति के साथ शाह को एक स्मारिका सौंपते हुए दिखाया गया है.
जय शाह से इन मुद्दों पर हुई बात
जयसूर्या ने ट्विटर पर लिखा कि, श्री जय शाह, मानद सचिव, भारतीय क्रिकेट बोर्ड और एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष से मिलना एक सम्मान और खुशी की बात थी. इतने कम समय में हमसे मिलने के लिए सहमत होने के लिए धन्यवाद सर. हमने श्रीलंका में क्रिकेट के बारे में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की. जयसूर्या वर्तमान में गुजरात में हैं, जहां उन्होंने महात्मा गांधी के आश्रम का भी दौरा किया. 53 वर्षीय ने शनिवार को एक तस्वीर साझा की, जिसमें उन्हें गांधी के प्रसिद्ध चरखा को घुमाते हुए देखा जा सकता है.
गुजरात का भी किया दौरा
उन्होंने ट्वीट किया, महान महात्मा गांधी के आश्रम में जाना सबसे विनम्र अनुभव था. उनका जीवन आज भी हमें प्रेरित करता है. भविष्य इस पर निर्भर करता है कि हम वर्तमान में क्या करते हैं. यह श्रीलंका पर पहले से कहीं अधिक लागू होता है. उनके हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने लिखा, श्रीलंका के लिए पिछले 3 महीने मुश्किल भरे थे, अब चीजें बेहतर हो रही हैं. सरकार धीरे-धीरे चीजों को सही जगह पर लाने की कोशिश कर रही है, यह श्रीलंका में पर्यटन को बढ़ावा देने का समय है.
श्रीलंका के पर्यटन ब्रांड एंबेसडर हैं जयसूर्या
उन्होंने आगे कहा कि मैं भारत में विशेष रूप से गुजरात में श्रीलंका पर्यटन को बढ़ावा देने का आग्रह कर रहा हूं. हमने यहां टूरिज्म प्रमोशन प्रोग्राम किया था. कल भी हमने यहां रोड शो किया था. हमारे पड़ोसी के रूप में, भारत ने संकट के दौरान श्रीलंका की मदद करने में बहुत बड़ी भूमिका निभायी है. हम भारत के बहुत शुक्रगुजार हैं. बता दें कि गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे द्वीप राष्ट्र में उथल-पुथल के बीच जयसूर्या को हाल ही में श्रीलंका के पर्यटन ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त किया गया है. वह श्रीलंका में प्रमुख आवाजों में से एक थे, जिन्होंने नियमित रूप से तत्कालीन प्रशासन की निंदा की.