मुंबई : उच्चतम न्यायालय से आलोचना का सामना कर रहे भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले शशांक मनोहर ने आज कहा कि उन्होंने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि वह न्यायमूर्ति लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने और बीसीसीआई के ढांचे को ध्वस्त होते हुए देखने में सक्षम नहीं थे. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के पहले स्वतंत्र चेयरमैन बने नागपुर के वकील मनोहर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘लोढा समिति की सिफारिशों से पहले भी मैं जो भी अच्छा था और बोर्ड के हित में था वह किया. मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो इन्हें लागू करने में सक्षम हो.’
उन्होंने कहा, ‘इस बोर्ड में मेरे से अधिक सक्षम कई लोग हैं जो इन चीजों को लागू कर सकते हैं. मैं ऐसे संगठन को ध्वस्त होते हुए नहीं देख सकता जिसे इतने सारे लोगों ने खडा किया है.’ मनोहर ने कहा, ‘आज पूरे क्रिकेट विश्व में भारत प्रशासन, बुनियादी ढांचे, क्रिकेट और वित्त में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. आप इससे अधिक क्या उम्मीद कर सकते हैं. इस दुनिया में कोई भी संस्थान परफेक्ट नहीं होता.’
उन्होंने कहा, ‘मेरा साथ ही मानना है कि लोग अंतर पैदा करते हैं. आपको संगठन को चलाने के लिए अच्छे लोगों की जरुरत होती है और कानून की नहीं.’ मनोहर ने कहा कि बोर्ड पहले ही बीसीसीआई में आमूलचूल बदलाव की लोढा समिति की 75 प्रतिशत सिफारिशों को लागू कर चुका है लेकिन कुछ को लेकर आशंकाएं हैं जिसके बारे में बोर्ड को लगता है कि यह खेल के लिए अच्छी नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने बोर्ड की जिम्मेदारी संभाली तो लोढा समिति का काम चल रहा था. सिफारिशें आने से पहले ही बोर्ड ने उनमें से कई को लागू कर दिया था. समिति की 75 प्रतिशत सिफारिशें काफी अच्छी थी लेकिन चार से पांच सिफारिशों को लेकर मुझे आशंकाएं थी जो बोर्ड के हित में नहीं थी.’ मनोहर ने कहा कि जिन सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सकता उनमें ओवरों के बीच में टीवी विज्ञापन नहीं दिखाना, एक राज्य एक संघ, आईपीएल संचालन परिषद में फ्रेंचाइजी का प्रतिनिधित्व, कार्य समिति में खिलाडियों की मौजूदगी, चयन पैनल के सदस्यों की संख्या पांच से घटाकर तीन करना और पदाधिकारियों का ब्रेक शामिल है.
मनोहर ने कहा, ‘अगर इन मुद्दों को सुलझा लिया जाता है तो मुझे लगता है कि कोई समस्या नहीं है. बाकी सिफारिशों ठीक हैं और अधिकांश को बोर्ड लागू कर चुका है.’ मनोहर ने साथ ही कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के तहत लोढा समिति को उच्चतम न्यायालय को अपनी सिफारिशें सौंपने से पहले बीसीसीआई को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाना चाहिए था. ओवरों के बीच में विज्ञापन नहीं दिखाने की सिफारिश पर मनोहर ने कहा कि इससे बोर्ड की कमाई 1980 के दशक के स्तर पर पहुंच जाएगी और बोर्ड की कई अच्छी योजनाओं पर असर पडेगा जब जूनियर स्तर पर घरेलू मैचों का आयोजन भी प्रभावित होगा.
उन्होंने कहा, ‘यह बोर्ड के वित्तीय ढांचे को खत्म कर देगा. यह निगरानी करने के लिए एक एजेंसी को नियुक्त किया गया है कि सभी छह गेंदों का प्रसारण किया जाए और अगर ओवर की सभी छह गेंद नहीं दिखाई गयी तो अनुबंध में जुर्माने का प्रावधान है.’ मनोहर ने कहा, ‘बोर्ड विज्ञापन के जरिये राजस्व जुटाता है. बोर्ड को प्रत्येक मैच से 43 करोड रुपये मिलते हैं. अगर इसे लागू किया गया तो राजस्व केवल 15 से 20 प्रतिशत रह जाएगा. यह दो हजार करोड रुपये से 400 करोड रुपये हो जाएगा और कर चुकाने के बाद 300 करोड रुपये. अगर विज्ञापन नहीं दिखाए गए तो बोर्ड 1980 के दशक के स्तर पर पहुंच जाएगा.’