मुंबई : भारत में घरेलू एकदिवसीय टूर्नामेंट में लागू होने वाले वीजेडी विधि के जनक भारतीय इंजीनियर वी जयदेवन ने आईसीसी से मान्यता डकवर्थ लुईस पद्धति में कुछ खामियां गिनायी हैं. यह पद्धति 14 फरवरी से 29 मार्च से होने वाले विश्व कप में उपयोग की जाएगी.
जयदेवन ने दावा किया है कि खराब मौसम से प्रभावित मैच में उपयोग किये जाने वाली डकवर्थ लुईस पद्वति में खामियां हैं और वीजेडी पद्वति उससे सभी मामलों में बेहतर है. उन्होंने लिखा है, माना कि व्यवधान तब पडता जबकि टीम एक ने 20 ओवर में बिना किसी नुकसान के 104 रन बनाये हो.
ऐसे में दूसरी टीम के लिये डकवर्थ लुईस के हिसाब से 20 ओवर में लक्ष्य 170 रन होगा जो कुछ तर्कसंगत लगता है लेकिन यदि टीम एक 20 ओवर में इसके आधा यानि बिना किसी नुकसान के 52 रन बनाती है तब भी टीम दो के लिये लक्ष्य 154 रन होगा.
जयदेवन के अनुसार, यदि टीम एक का स्कोर 20 ओवर में बिना किसी नुकसान के 46 रन होता है तो टीम दो के लिये लक्ष्य 136 रन होगा. यदि स्कोर बिना किसी नुकसान के 52 रन होता है तो लक्ष्य 18 रन बढ जाएगा और यह 136 से 154 रन हो जाएगा. इसके बाद अगले 52 रन (52 से 104 रन) के लिये लक्ष्य में केवल 16 रन की बढोतरी होती है. उन्होंने दावा किया कि उनकी पद्वति में इस तरह की खामियां नहीं हैं.