-अनुज कुमार सिन्हा-
भारत चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में. अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो फाइनल तो तय क्योंकि सामने बांग्लादेश की टीम है. भारत के मुकाबले कमजोर, पर याद कीजिए इसी बांग्लादेश ने अपनी बल्लेबाजी के बल पर न्यूजीलैंड को बाहर कराया है. टीम इंडिया की किस्मत अच्छी है क्योंकि सामने अॉस्ट्रेलिया नहीं है (जिसकी संभावना थी). किस्मत तो खराब है अॉस्ट्रेलिया की. दो मैच रद्द हो गये, एक-एक अंक पर संतोष करना पड़ा था और यह बारिश का ही रिजल्ट है कि बांग्लादेश सेमीफाइनल में है.
जहां तक टीम इंडिया की बात है, श्रीलंका से हार के बाद सवाल उठे थे. खास कर गेंदबाजी को लेकर. तीन सौ से ज्यादा रन बना कर अगर कोई टीम हारे तो सवाल उठेगा ही. यह मामला इतना बढ़ा कि अश्विन को लाना पड़ा, जो दो मैच से बाहर थे. जिस गेंदबाजी ने भारत को श्रीलंका के खिलाफ हराया था, उसी ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इतनी बेहतरीन गेंदबाजी की, जिससे भारत का रास्ता आसान हो गया. दक्षिण अफ्रीका की टीम को 191 रन पर समेटना आसान काम नहीं है लेकिन यह भी सच है कि बड़े मैच में अफ्रीका की टीम बिखर जाती है. एक विकेट पर 116 रन के बाद अगर दक्षिण अफ्रीका की टीम 191 पर सिमट जाये तो बात समझ में नहीं आती है. या तो यह भारत की बेहतरीन गेंदबाजी का फल है या फिर दबाव का असर.
गेंदबाजों ने निश्चित तौर पर दबाव बनाया और उसी का फल था दबाव में लगातार रन आउट होना. दो लगातार रन आउट टर्निंग प्वाइंट थे. गेंदबाजी में आरंभ में अगर भुवनेश्वर कुमार और बुमराह ने दबाव बनाया तो जडेजा ने इस दबाव को बनाये रखा. पांडया को उतना निशाना नहीं बनाया गया जितना श्रीलंका ने बनाया था. लेकिन आनेवाले मैचों में पांडया ही निशाने पर रहेंगे. यह सही है कि पांड्या के आने से बैटिंग में मजबूती मिलती है लेकिन यह देखना होगा कि इससे गेंदबाजी कमजोर न हो. भारत अगर कोई बड़ी गलती नहीं करे और अपने फार्म को बना कर रखे तो बांग्लादेश को हराना बहुत मुशिकल नहीं होगा.