Shardiya Navratri 2020, Puja Vidhi, shubh Muhurat, kalash sthapana Time: नवरात्रि महापर्व शुरू हो गया है. 17 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक नवरात्रि का व्रत पूरे देश में रखा जाएगा. अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होगी. आज पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा और कलश स्थापना के साथ भक्तों ने नौ दिनों तक अनवरत मां दुर्गा के पूजा का संकल्प लिया. आइए जानते है नवरात्रि पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना की विधि समेत पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी...
नवरात्र के आठवें दिन करें मां महागौरी की साधना- मिलेगा मनपसंद जीवन साथी व शीघ्र विवाह का बनेगा योग.
मंत्र : ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
प्रार्थना
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की साधना करने से व्यापार/रोजगार/सर्विस संबधी इच्छा पूर्ति होती है.
मंत्र : ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
प्रार्थना
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी साधना- धर्म, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति तथा भय का नाश होता है.
मंत्र : ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
प्रार्थना
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की साधना करने से कुंठा, कलह एवं द्वेष से मुक्ति मिलती है.
मंत्र : ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
प्रार्थना
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कूष्माण्डा की साधना करने से आयु, यश, बल व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
मंत्र : ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां चंद्रघण्टा की साधना करने से पाप-ताप व बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
मंत्र : ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
प्रार्थना
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां ब्रहा्रचारिणी की साधना करने से विजय एवं आरोग्य की होती है प्राप्ति.
मंत्र : ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
प्रार्थना
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
शैलपुत्री साधना करने से भौतिक एवं आध्यात्मिक इच्छा पूर्ति होती है.
मंत्र : ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पहले दिन का भोग
प्रथम नवरात्रि के दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है. तथा शरीर निरोगी रहता है
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।
करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥
मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।
जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥
अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।
भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥
1. अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक.
2. दिवस मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक.
3. सायंकालीन मुहूर्त शाम 6:00 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक.
4. रात्रिकालीन मुहूर्त रात्रि 9:00 बजे से 12 बजकर 04 मिनट तक.
माता शैलपुत्री के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है. मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं में कमल है. उनकी सवारी नंदी माने जाते हैं. देवी सती ने पर्वतराज हिमालय के घर पुर्नजन्म लिया और वह फिर वह शैलपुत्री कहलाईं. मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.
आनवरात्रि प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना करें. इसके बाद दुर्गा पूजा का संकल्प लें. फिर माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करें. मां को अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें. मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद कपूर या गाय के घी से दीपक जलाएं. मां की आरती करें. शंखनाद के साथ घंटी बजाएं. मां को प्रसाद अर्पित करें. पूजा समाप्त होने के बाद घर में सभी को प्रसाद दें.
आज से नवरात्रि शुरू हो गई है. आज माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता दुर्गा का प्रथम रूप है. इनकी आराधना से कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं. प्रतिपदा को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्ये नम:' की माला दुर्गा जी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर हवन करने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.
1. शैलपुत्री- ह्रीं शिवायै नम:।
2. ब्रह्मचारिणी- ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
3. चन्द्रघण्टा- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
4. कूष्मांडा- ऐं ह्री देव्यै नम:।
5. स्कंदमाता- ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
6. कात्यायनी- क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
7. कालरात्रि - क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
8. महागौरी- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
9. सिद्धिदात्री - ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
अगर आप मां दुर्गा के नाम का कलश स्थापित करना चाहते हैं तो इसके लिए नीचे शुभ मुहूर्त दिए गए हैं. विद्यार्थियों के लिए सुबह 6:27 से 10:13 तक अतिशुभ समय बताया गया हैत्र जबकि दोपहर 11:44 से 12:29 तक अभिजीत मुहूर्त है. वहीं प्रात: 8.45 से 11 बजे तक शुभ चौघड़िया मुहूर्त है.
हिंदू पंचांग और मान्यता के अनुसार, ज्योतिष गणना कहती है कि इस बार नवरात्रि का पर्व 1962 के बाद 58 साल के अंतराल पर विशेष संयोग के साथ आया है. इस बार शनि और गुरु दोनों नवरात्रि पर अपनी राशि में विराजे हैं. इसके कारण माना जा रहा है कि इस नवरात्रि के दौरान अच्छे कार्यों के लिए दृढ़ता मन में बनी रहेगी. नवरात्रि पर राजयोग, द्विपुष्कर योग, सिद्धियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, सिद्धियोग और अमृत योग जैसे संयोगों का महाकुंभ भी हो रहा है.
नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यानी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
वेदियों पर कलश में गंगा जल भरकर मां दुर्गा का अह्वान करें. इसके बाद नारियल को लाल चुनरी में रखकर रक्षासूत्र से बांधे. फिर, गौरी, गणेश और नवग्रह पूजन के बाद मां की व्रतियों को मां की स्तुति करनी चाहिए. शारदीय नवरात्र के अनुष्ठानों के लिए इस बार कोरोना काल में घर-घर में तैयारियां की गई हैं. कोरोना से मुक्ति के लिए घरों से लेकर देवी मंदिरों तक नवचंडी पाठ स्तोत्र नाम जप किए जाएंगे.
नवरात्रि में नौ दिनों तक मां की आराधना की जाती है. पूजा के समय सबसे पहले आसन पर बैठकर जल से तीन बार शुद्ध जल से आचमन करे- ॐ केशवाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: फिर हाथ में जल लेकर हाथ धो लें. हाथ में चावल एवं फूल लेकर अंजुरि बांध कर दुर्गा देवी का ध्यान करें. फिर इस मंत्र का जाप करें...
आगच्छ त्वं महादेवि। स्थाने चात्र स्थिरा भव।
यावत पूजां करिष्यामि तावत त्वं सन्निधौ भव।।
शारदीय नवरात्रि शक्ति पर्व है. हिन्दू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व बताया गया है. 17 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 45 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें. नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जाप करें. अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें.
नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
नवरात्रि में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. ये सभी मां के नौ स्वरूप माना जो हैं. प्रथम दिन घटस्थापना होती है. शैलपुत्री को प्रथम देवी के रूप में पूजा जाता है. 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है.
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