Kuber Chalisa Lyrics: दिवाली में कुबेर पूजा के दौरान करें इस चालीसा का पाठ, होगी सौभाग्य में वृद्धि
Kuber chalisa benefits: दीपावली में कुबेर पूजा के समय इस चालीसा का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. इसे पढ़ने से घर में धन, सुख और समृद्धि बढ़ती है. साथ ही, व्यक्ति के सौभाग्य और भाग्य में भी वृद्धि होती है. यह उपाय लक्ष्मी और कुबेर की कृपा पाने का आसान तरीका है.
Kuber chalisa lyrics in hindi: आज 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है, और ठीक आज से दो दिनों बाद 20 अक्टूबर को दिवाली है. दीपावली पर आपने अपने घर में माता लक्ष्मी को आमंत्रित करने की तैयारी तो कर ली होगी, लेकिन यह तैयारी तभी पूरी तरह सफल होगी जब आप दीपावली की शाम विधिपूर्वक पूजा करें. इस दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी और कुबेर महाराज की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. शास्त्रों में दीपावली पूजा का खास महत्व बताया गया है. ज्योतिषाचार्य डॉ. एन. के. बेरा के अनुसार, इस दिन कुबेर चालीसा का पाठ करने से घर में धन, समृद्धि और सुख-शांति आती है. यह उपाय लक्ष्मी और कुबेर की कृपा पाने का सबसे आसान तरीका है.
कुबेर चालीसा इन हिंदी (kuber chalisa lyrics by gulshan kumar )
॥ दोहा ॥
जैसे अटल हिमालय,और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण,सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो,धन माया के ढ़ेर॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी।
धन माया के तुम अधिकारी॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी।
पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी।
सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी।
सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं।
युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥
सदा विजयी कभी ना हारैं।
भगत जनों के संकट टारैं॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता।
पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता।
विभीषण भगत आपके भ्राता॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया।
अमृत पान करी अमर हुई काया॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में।
देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में।
बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं।त्
रिशूल गदा हाथ में साजैं॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं।
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं।
ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं।
पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं।
वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥
कांधे धनुष हाथ में भाला।
गले फूलों की पहनी माला॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला।
दूर दूर तक होए उजाला॥
कुबेर देव को जो मन में धारे।
सदा विजय हो कभी न हारे॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे।
अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं।
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥
कुबेर भगत के संकट टारैं।
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे।
क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं।
दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं।
अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं।
कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे।
कुबेर गिरे को पुन: उठा दे॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे।
कुबेर भूले को राह बता दे॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे।
भूखे की भूख कुबेर मिटा दे॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे।
दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दे।
कारोबार को कुबेर बढ़ा दे॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे।
चोर ठगों से कुबेर बचा दे॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावै।
जो कुबेर को मन में ध्यावै॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं।
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥
पाठ करे जो नित मन लाई।
उसकी कला हो सदा सवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई।
उसका जीवन चले सुखदाई॥
जो कुबेर का पाठ करावै।
उसका बेड़ा पार लगावै॥
उजड़े घर को पुन: बसावै।
शत्रु को भी मित्र बनावै॥
सहस्र पुस्तक जो दान कराई।
सब सुख भोग पदार्थ पाई॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई।
मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥
॥ दोहा ॥
शिव भक्तों में अग्रणी,श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर,कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब,जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी,दया की दृष्टि फेर॥
|| इति संपूर्णंम् ||
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