यह दुनिया झूठ और कपट से चल रही है. सबसे ज्यादा भद्दापन सबसे ऊंचे स्तर पर हो रहा है. अगर आप दुनियाभर में होनेवाले चुनाव प्रचारों को देखें, तो आपको लगेगा कि सारी सीमाएं टूट चुकी हैं, मानो लोकतंत्र का मतलब ही हो गया है कमर के नीचे वार करना. अब ऐसा लगता है कि कोरा झूठ बोलना कोई शर्मिंदगी की बात ही नहीं है. आज झूठ मुख्यधारा में आ चुका है, जबकि सच्चाई किनारे जा चुकी है. आज जब पूरी दुनिया में यह हालत है, ऐसे में सत्य के लिए जीने और मरनेवाले लोगों का बड़ा समूह खड़ा करना एक बहुत महत्वपूर्ण काम है. यह हमें करना ही होगा, क्योंकि इसके बिना बहुत कुछ अधूरा रह जायेगा.
सत्य कोई विश्वास नहीं है. आप जो चाहें, उस पर विश्वास कर सकते हैं, जरूरी नहीं है कि इसका सच्चाई से कोई लेना-देना हो. अगर आप बड़े पैमाने पर लोगों को किसी चीज पर विश्वास करने में लगायेंगे, तो झूठ ही मुख्यधारा में होगा. एक बार जब आप विश्वास करने लगते हैं, तो फिर आपकी सारी पहचान उसी विश्वास के ऊपर बनने लगती है. विश्वास लोगों को सबसे ज्यादा हास्यास्पद चीजों को विशुद्ध सत्य की तरह स्वीकार कर लेने के लिए प्रेरित करता है. हालांकि, सच को मुख्यधारा में लाने के लिए काफी कुछ किया गया है, लेकिन इस संसार में ऐसी अनेक शक्तियां हैं, जिन्होंने सच को हाशिये पर धकेलने का काम किया है. और आज भी ऐसी कई शक्तियां ऐसा कर रही हैं. अब ऐसा समय आ चुका है, जहां पूरी दुनिया से संवाद स्थापित करने की मानव क्षमता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुकी है. हम चाहें तो हर दिल व दिमाग पर सत्य दस्तक दे सकता है.
तकनीक ने हमें इस मुकाम तक पहुंचा दिया है. सत्य को इस धरती की असली ताकत बनाने का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ समय है. आप सोशल मीडिया पर गपशप शुरू करते हैं, तो यह हर जगह पहुंच जाती है. जब वह गपशप पूरी दुनिया में पहुंच सकती है, तो सत्य को भी पूरी दुनिया तक फैलाया जा सकता है. आज कोई भी पुराणों और ग्रंथों की मुश्किल चीजें नहीं सुनना चाहता, लेकिन अगर आप इसमें बताये गये सत्य को गॉसिप की तरह कहेंगे, तो हर कोई इसके बारे में जानना चाहेगा.
– सद्गुरु जग्गी वासुदेव