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न करें सफलता का दावा

मनुष्य जीवन का परम उद्देश्य है सेवारत होना. संकल्परहित मन दुखी रहता है. संकल्प से जुड़ा मन कठिनाइयां अनुभव कर सकता है, परंतु वह श्रम का फल पायेगा. जब आप सेवा को जीवन का एकमात्र उद्देश्य बना लेते हैं, तो यह भय को दूर करता है, मन को केंद्रित करता है और लक्ष्य देता है. […]

मनुष्य जीवन का परम उद्देश्य है सेवारत होना. संकल्परहित मन दुखी रहता है. संकल्प से जुड़ा मन कठिनाइयां अनुभव कर सकता है, परंतु वह श्रम का फल पायेगा. जब आप सेवा को जीवन का एकमात्र उद्देश्य बना लेते हैं, तो यह भय को दूर करता है, मन को केंद्रित करता है और लक्ष्य देता है. जो पेट भरने के लिए लड़ते हैं, वे निर्धन हैं. लेकिन धनी वे हैं जो भोजन बांट कर खाते हैं. उनसे धनी हैं वे जो अपने अधिकारों को लोगों में बांटते हैं. उनसे भी अधिक धनी वे व्यक्ति हैं, जो अपना यश बांटते हैं.

सबसे धनवान वे हैं, जो स्वयं को बांटते हैं. व्यक्ति की संपन्नता का परिचय उसके बांटने की क्षमता से होता है. इस संसार में यदि आप केवल देने और सेवा के लिए आये हैं, तो पाने के लिए और कुछ है ही नहीं. सफलता दर्शाती है कि असफल होने की संभावनाएं भी हैं. जो सर्वश्रेष्ठ है, वहां असफलता का प्रश्न ही नहीं है. सफलता का अर्थ है, किसी सीमा को पार करना. यानी आपकी यह कल्पना है कि कोई सीमा है.

आप मानते हैं कि कोई सीमा है, तो आप अपने सामर्थ्य का बहुत कम मूल्यांकन कर रहे हैं. आप यह नहीं कहते कि आपने सफलतापूर्वक एक गिलास पानी पिया, क्योंकि यह आपके सामर्थ्य में है. परंतु जब आप कुछ ऐसा करते हैं, जो आप सोचते हैं कि आपकी सीमा के परे है, तब आप उसे सफलता मानते हैं. जब आप अपनी अनंतता को समझते हैं, तब कोई भी कार्य प्राप्ति या उपलब्धि नहीं रह जाता. सफलता का दावा करना अपनी सीमा दर्शाना है.
।। श्री श्री रविशंकर ।।

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