गया में श्राद्ध के चौथे दिन आश्विन कृष्ण पक्ष तृतीया (गुरुवार) को धर्मारण्य, सरस्वती व मातंगवापी में श्राद्ध करके बोधिवृक्ष की प्रार्थना करने का विधान है. सनत्कुमार ने ऋषियों का बताया-श्राद्ध से प्राणि का जन्म-जन्मांतर का पाप धुल जाता है.
मुक्ति के चार साधन बताये गये हैं-ब्रह्मज्ञान, गया श्राद्ध, गोशाला में मरण व कुरुक्षेत्र का वास. इसमें सबसे उत्तम गया श्राद्ध है. गया श्राद्ध करने के बाद किसी अन्य साधन की आवश्यकता नहीं रहती. धर्मारण्य जाकर सरस्वती नदी में तर्पण करने के बाद पंचरत्न दान करें. इससे जीव सभी प्रकार (मातृ, पितृ आदि) के ऋणों से मुक्त हो जाता है. इसके बाद मतंगवापी तीर्थ तीर्थ में स्नान, तर्पण करके शुद्ध हो जायें. मतंगेश को इस मंत्र से नमस्कार करें-