रांची : रिम्स डेंटल कॉलेज में दांत की सामान्य बीमारी का भी इलाज नहीं हो पा रहा है. मरीज महीनाें से अस्पताल का चक्कर लगाकर थक गये हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. दांत के इलाज की सामग्री के अभाव में यह समस्या उत्पन्न हुई है. इस कारण दांत की फीलिंग, कृत्रिम दांत (डेंचर), आरसीटी, क्राउन ब्रिज और पोरसिलिंग मटेरियल का इलाज प्रभावित है. उक्त इलाज का खर्च निजी क्लिनिक में 1000 से 5000 रुपये तक है. जबकि, रिम्स में इसका इलाज मुफ्त में होता है.
जानकारी के अनुसार, यह समस्या करीब एक साल से है, लेकिन कॉलेज प्रबंधन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. रांची के एक मरीज ने प्रबंधन से लिखित शिकायत की है. इसमें बताया गया है कि पिछले एक साल से वह इलाज के लिए आ रहे हैं, लेकिन हमेशा सामग्री नहीं होने की बात कह लौटा दिया जाता है.
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मरीजों के साथ-साथ बीडीएस की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी भी सामग्री नहीं होने से परेशान हैं. दांत का इलाज सीखने के लिए विद्यार्थी सामग्री खरीद कर लाते हैं. एक छात्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि टीचर कहते हैं कि सामग्री खरीदकर लाओ, नहीं तो सीख नहीं पाओगे. इस कारण मजबूरी में खरीद कर लाना पड़ता है.
दांत के इलाज में लगने वाली सामग्री अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, इसका पता चला है. मैंने अभी चार्ज ही लिया है. इलाज नहीं होने की शिकायत तो मिल रही है. शीघ्र इस समस्या का निराकरण किया जायेगा. विद्यार्थियों की पढ़ाई में दिक्कत न हो, इसका भी ख्याल रखा जायेगा.
डॉ एनएन सिंह, प्राचार्य, डेंटल कॉलेज