Mughal Harem Stories : जब अकबर के सीने पर इस हिंदू रानी ने खंजर रखकर बचाई थी लाज

Mughal Harem Stories : मुगल हरम में औरतें, बादशाह के आनंद और मनोरंजन के लिए रखी जाती थीं. उनकी तलाश उनके रूप और गुणों के आधार पर होती थी. मुगलों को अपने जैसी गोरी संतान चाहिए होती थी, इसलिए वे कश्मीर से औरतों को लाते थे. भारतीय औरतों में उन्हें बंगाली महिलाएं भी बहुत पसंद थीं. अकबर एक ऐसा राजा था, जिसे उस वक्त के लेखकों ने औरतों के पीछे दीवाना बताया था. वह नौरोज, खुशरोज और मीना बाजार जैसे आयोजनों के जरिए औरतों को चुनता था. ऐसे ही एक आयोजन के दौरान अकबर के सामने एक राजपूत रानी ने दुस्साहस किया और उसे अपने गलत इरादों को अंजाम देने से रोका था.

By Rajneesh Anand | December 3, 2025 3:11 PM

Mughal Harem Stories : हरम से जुड़े मुगल मिनिएचर को अगर आप देखें तो पाएंगे कि बादशाह खूबसूरत लड़कियों से घिरे होते थे, यहां तक कि उनके शाही मेहमानों का स्वागत भी कुछ इसी तरह होता था. अकबर और शाहजहां जैसे बादशाह तो औरतों के दीवाने थे. बाबर और हुमायूं के समय हरम का जो आकार था उसे अकबर ने विस्तृत किया और हजारों महिलाओं को हरम में शामिल किया.

हरम में औरतों को लाने के कई तरीके थे, सबसे ज्यादा औरतें युद्ध में हारे हुए क्षेत्र की होती थीं, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि अगर राजा या राजकुमारों को कोई औरत पसंद आ जाए, तो फिर चाहे वो शादीशुदा ही क्यों ना हो उसे हरम का रुख करना पड़ता था. हरम में औरतों को शामिल करने के लिए अकबर ने नौरोज, खुशरोज और मीना बाजार जैसे आयोजनों की शुरुआत की थी. ऐसे ही एक आयोजन में उसका सामना एक ऐसी हिंदू रानी से हुआ था, जिसने उसके सीने पर खंजर रख दिया, लेकिन उसके गलत इरादों को सफल नहीं होने दिया.

क्या औरतों को लेकर बेलगाम थी मुगलों की सोच?

मीना बाजार

मुगल बादशाह औरतों को लेकर बहुत पजेसिव थे. उनकी बेलगाम सोच उनकी पत्नियों तक सीमित नहीं थी, बल्कि उनकी चाहत किसी भी औरत तक पहुंच सकती थी. मुगल काल के प्रसिद्ध चिकित्सक निकोलाओ मनूची ने लिखा है कि अन्य बादशाहों की अपेक्षा औरंगजेब सादगी पसंद था. वह सादे कपड़े पहनता था, सादा खाना खाता था और मनोरंजन भी सादगी के साथ करता था.

बावजूद इसके औरंगजेब भी औरतों को लेकर वैसी ही सोच रखता था, जैसे दूसरे बादशाह. इतिहासकार किशोरी शरण लाल ने अपनी किताब The Mughal Harem में लिखा है कि मनुची ने अपने संस्मरणों में लिखा है कि सभी मुसलमानों को औरतें बहुत पसंद होती हैं, जो उनका मुख्य आराम और लगभग एकमात्र खुशी होती हैं.

किस रानी ने अकबर के सीने पर रख दिया था खंजर?

किशोरी शरण लाल ने The Mughal Harem में पुराने हिंदी कवि दुरसा और पृथ्वीराज के हवाले से लिखा है कि अकबर के नौरोज, खुशरोज और मीना बाजार गलत और कामुक इरादे से लगाए जाते थे.यही कारण था कि राजपूत इन आयोजनों को पसंद नहीं करते थे. ऐसे मेले में अमीरों की पत्नियों और बेटियों को बुलाया जाता था, पर्दा प्रथा के लिए प्रसिद्ध मुगलों के इन मेलों में सभी औरतें बिना पर्दे के होती थीं. बादशाह सबसे बात करता था और जो औरत उसे पसंद आ जाती थी या तो वो हरम पहुंच जाती थी या फिर अपनी पवित्रता खोकर वहां से वापस जाती थी. हां, उनके शरीर पर सोने और रत्नों के गहनों की खनक बढ़ जाती थी.

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ऐसे ही एक मेले में महाराजा राय सिंह के छोटे भाई पृथ्वीराज सिंह की पत्नी शाही साजिश का शिकार बन गई. वह मेवाड़ की राजकुमारी थी, मेले से लौटने के दौरान वह उन कमरों की भूलभुलैया में फंस गई, जिसके आखिर में अकबर उसके सामने खड़ा था. उस राजपूत रानी ने समर्पण करने की बजाय लेकिन मानने के बजाय, उसने अपने ब्लाउज से एक खंजर निकाला और उसे अकबर के सीने से लगा दिया. इतना ही नहीं उसने अपनी पूरी जाति की बदनामी को खत्म करने की कसम लिखवाई और उसे दोहराने को कहा. उस रानी का नाम किशोरी शरण लाल ने अपनी किताब में तो नहीं लिखा है, लेकिन पृथ्वीराज सिंह की पत्नी का नाम चंपादे बताया जाता है.

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