कोई भी जश्न इंसान की जान से बढ़कर नहीं, बेंगलुरु पुलिस के मना करने पर भी क्यों हुई RCB की विक्ट्री परेड?

Bengaluru Stampede : 18 साल के लंबे इंतजार के बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम जब आईपीएल की चैंपियन बनी, तो जश्न आयोजित हुआ, लेकिन जीत की खुशी में मौत का सन्नाटा और चीख-पुकार भी शामिल हो गई. सवाल यह है कि क्या जीत के जश्न का आयोजन किसी की जिंदगी से बढ़कर हो सकता है? 11 मासूम लोगों की मौत की कीमत पर क्या विक्ट्री परेड होनी चाहिए थी? वह भी तब जबकि पुलिस ने इस तरह के किसी भी आयोजन को ना करने की सलाह दी थी? इतनी क्या जल्दी थी कि जश्न मनाने की कि पुलिस प्रशासन को तैयारी का मौका तक नहीं दिया गया. सरकार इतनी लापरवाह कैसे हो गई कि सुरक्षा जांच से पहले ही विक्ट्री परेड की इजाजत दे दी.खबर तो यह भी है कि भगदड़ की सूचना मिलने पर भी चिन्ना्स्वामी स्टेडियम में कार्यक्रम जारी रहा, हालांकि बाद में इस दुर्घटना पर शोक जताया गया.

By Rajneesh Anand | June 5, 2025 1:55 PM

Bengaluru Stampede : 3 जून की रात को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम ने आईपीएल की इतिहास में पहली बार खिताब जीता और अपने प्रशंसकों को बहुत बड़ी खुशी दे दी, जिसका जश्न पूरे देश में मनाया गया. महान क्रिकेट खिलाड़ी विराट कोहली जो 18 साल से टीम का हिस्सा हैं, वे इस ट्राॅफी का लंबे समय से इंतजार कर रहे थे और जब आरसीबी ने पंजाब किंग्स को छह रन से हराया, तो खुशी से उनकी आंखें छलक गई थीं. विराट की इस खुशी में पूरा देश उनके साथ खड़ा था, जश्न मना रहा था, लेकिन इस जश्न को नजर तब लग गई जब आरसीबी की जीत को सेलिब्रेट करने के लिए बेंगलुरु में आयोजित परेड में भगदड़ मच गई और 11 लोगों की जान चली गई.

आरसीबी के विक्ट्री परेड में भगदड़ क्यों मची?

बेंगलुरु भगदड़ की वजह

आरसीबी ने 3 जून को चैंपियनशिप का खिताब जीता और 4 जून को दोपहर में परेड आयोजित की गई. इतने कम समय में पुलिस-प्रशासन को तैयारी के लिए वक्त नहीं मिला और परेड को अफरा-तफरी में आयोजित करना पड़ा. जीत की खुमारी जो 3 जून की रात को चढ़ी थी उसे उतरने का समय भी नहीं मिला था और परेड आयोजित कर दी गई. लोगों की भावनाएं उफान पर थीं, ऐसे में उन्हें बिना प्लानिंग के नियंत्रित करना संभव नहीं था. बेंगलुरु पुलिस ने आरसीबी फ्रेंचाइजी और राज्य सरकार को सावधान किया था कि अभी परेड आयोजित ना करें यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से उचित नहीं है, लेकिन पुलिस की चेतावनी को दरकिनार किया गया और विक्ट्री परेड आयोजित की गई, जिसकी वजह से यह दुर्घटना हुई. डेक्कन हेराल्ड में प्रकाशित खबर के अनुसार आरसीबी का तर्क यह था कि अगर जश्न को कुछ दिन बाद आयोजित किया जाता, तो विदेशी खिलाड़ी नहीं रूकते, उन्हें अपने देश वापस जाना था. राज्य सरकार ने भी जश्न की अनुमति दे दी, बिना सुरक्षा जांच के. पुलिस अधिकारियों का कहना था कि अगर जश्न करना ही है, तो उसे एक निश्चित स्थान तक सीमित किया जाए और कम से कम रविवार तक स्थगित किया जाए, लेकिन उनकी सलाह नहीं मानी गई. पुलिस की ताकीद के बावजूद कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन ने फ्री टिकट बांटे, जिसकी वजह से भीड़ अनियंत्रित हो गई. स्टेडियम के बाहर दो लाख लोग जमा थे, जिन्हें नियंत्रित करना पुलिस की सीमा से बाहर हो गया था.

कर्नाटक हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर बुधवार को मची भगदड़ में 11 की मौत और 47 लोगों के घायल होने पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. कोर्ट इस बात को लेकर चिंतित है कि जश्न का आयोजन तो हुआ, लेकिन इस जश्न की खुशी किसकी नजर लग गई. 11 लोगों की मौत हुई तो कैसे हुई और इस दुर्घटना के लिए कौन जिम्मेदार है.

क्या बेंगलुरु दुर्घटना के लिए बीसीसीआई जिम्मेदार है?

बेंगलुरु में जो दुर्घटना हुई क्या उसके लिए बीसीसीआई जिम्मेदार है? इस सवाल पर सफाई देते हुए बीसीसीआई ने स्पष्ट किया है कि उसकी इसमें कोई भूमिका नहीं है, इसलिए उसे दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया नहीं जा सकता है. बीसीसीआई की ओर से यह कहा गया है कि उसे विक्ट्रीपरेड की कोई जानकारी नहीं थी और ना ही उससे इसपर कोई सहमति ली गई है, इसलिए दुर्घटना के लिए उसे जिम्मेदार ठहराना गलत होगा.

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