Prabhat Khabar Special : आजादी के इतने वर्ष बाद भी झारखंड के लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड की ओरसा पंचायत तक का पहुंच पथ हामी नदी से ओरसा तक कच्ची एवं जर्जर है. बारिश के बाद सड़क चलने लायक नहीं रहती है. अपराध या जानवर के हमले से कोई व्यक्ति घायल हो जाए, तो प्राथमिक उपचार के लिए समय से वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंच पाता है. यहां एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती. इस पंचायत में यादव परिवार की अच्छी आबादी है. सड़क नहीं होने के कारण इनके घर शादी-विवाह के लिए अच्छे रिश्ता नहीं आते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि सड़क निर्माण में बाधा का कारण वन विभाग की जमीन है. आपको बता दें कि यह क्षेत्र भेड़िया अभ्यारण्य अंतर्गत आता है.
ओरसा पंचायत पश्चिम पठार छत्तीसगढ़ सीमा से सटे झारखंड की आखरी पंचायत है. महुआडांड़ मुख्यालय से 17 किमी दूर है. 2011 की जनगणना के अनुसार पंचायत की जनसंख्या 6,661 है. पंचायत अंतर्गत छह राजस्व ग्राम हैं. कुल 13 वार्ड हैं. वोटर की 4400 है. हामी नदी से ओरसा सात किलोमीटर है. गर्मी व सर्दी में प्रखंड मुख्यालय से कमांडर गाड़ी ओरसा तक चलती है. बेलदारा नामक घाटी में यात्री को उतारकर खाली गाड़ी चढ़ायी जाती है. बरसात में वाहन का परिचालन बंद हो जाता है. ओरसा पंचायत शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छ पेयजल, बिजली के मामलों में आज भी काफी पिछड़ा हुआ है.
21 जनवरी 2022 को पंचायत से हजारों की संख्या में महिला और पुरुष महुआडांड़ मुख्यालय आकर रांची- पलामू जाने वाले मुख्य मार्ग एसएच नौ को जाम कर विरोध दर्ज करा चुके हैं. बुजुर्गों ने कहा कि महुआडांड़ में जब वाहन नहीं चलता था. तब इसी रास्ते से पैदल एवं घोड़े से छत्तीसगढ़ लोग जाते थे. महुआडांड़ से ओरसा होते हुए सामरी (छत्तीसगढ़) 25 किमी है. बरसात में सड़क की हालत और दयनीय हो जाती है.
ओरसा पंचायत के उपमुखिया वकील अहमद ने कहा कि सड़क और घाटी बहुत जर्जर है. बरसात में जरूरी सामान एवं किसान कृषि के लिए खाद-बीज लेने महुआडांड़ नहीं जाकर छत्तीसगढ़ के सामरी और कुसमी जाते हैं. एसएच नौ रोड जाम किया गया, तब वन विभाग और अनुमंडल प्रशासन के द्वारा आश्वासन मिला कि जल्द सड़क की समस्या दूर होगी, पर सड़क निर्माण को लेकर अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.
रिपोर्ट : वसीम अख्तर, महुआडांड़, लातेहार