सतीश सिंह, मुख्य प्रबंधक,आर्थिक अनुसंधान विभाग भारतीय स्टेट बैंक, मुंबई
satish5249@gmail.com
बजट में बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए बैड बैंक बनाने की घोषणा की गयी है. इस बैंक का निर्माण इसलिए जरूरी है, क्योंकि मौजूदा समय में बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की समस्या से जूझ रहे हैं. इसके लिए सरकार ने परिसंपत्ति पुनर्गठन एवं प्रबंधन कंपनी बनाने की बात कही है. यह कंपनी, विशेषकर सरकारी बैंकों के डूबे हुए कर्ज को खरीदने का काम करेगा. फिर यह खरीदे हुए कर्ज की नीलामी करेगा और उसे खरीदने वाली कंपनी एनपीए की वसूली करेगी.
एनपीए की वसूली में तेजी लाने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ढांचे को और मजबूत करने तथा दबावग्रस्त परिसंपत्तियों के तेजी से समाधान के लिए वित्तमंत्री ने ई-कोर्ट प्रणाली शुरू करने की घोषणा की है. इससे अदालत में चल रहे वादों का जल्दी निबटारा किया जायेगा. सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यम (एमएसएमइ) क्षेत्र के एनपीए की वसूली के लिए सरकार एक अलग ढांचा बनायेगी, क्योंकि 31 मार्च, 2021 से एमएसएमइ क्षेत्र के एनपीए के नये मामलों के एनसीएलटी में दर्ज करने पर लगी पाबंदी को हटाने का प्रस्ताव है.
मौजूदा प्रावधान से एनपीए की वसूली में कमी आयी है, लेकिन नये प्रस्ताव से तेजी की उम्मीद है. सरकारी बैंकों को मजबूत बनाने के लिए सरकार 20,000 करोड़ रुपये इक्विटी के जरिये उन्हें देगी. इससे पूंजी की कमी से जूझ रहे बैंकों को राहत मिलेगी. वित्त मंत्री ने डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी के लिए 1,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इससे डिजिटल भुगतान को सरल, सहज एवं प्रभावी बनाया जायेगा.
बीमा क्षेत्र में एफडीआइ सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ा कर 74 प्रतिशत की गयी है. इससे विदेशी निवेश में इजाफे की उम्मीद है. वित्तवर्ष 2021-22 के लिए विनिवेश लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. इसके तहत दो सरकारी बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी में विनिवेश करने का प्रस्ताव है. इसके लिए संसद के चालू सत्र में कानून में संशोधन किया जायेगा. इससे दोनों बैंकों और बीमा कंपनी को नीतिगत निर्णय लेने में ज्यादा स्वतंत्रता मिलेगी और सरकार को भी गैर-कर राजस्व की प्राप्ति होगी.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए वित्तमंत्री ने कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ा कर 16.5 लाख करोड़ रुपये किया है. कृषि ऋण में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सबसे लोकप्रिय ऋण है. वर्तमान में 11.5 करोड़ किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का फायदा उठा रहे हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 6.5 करोड़ किसानों के पास ही केसीसी ऋण की सुविधा है. शेष पांच करोड़ किसानों को केसीसी ऋण दिया जा सकता है. जो किसान इस ऋण को पाने के पात्र नहीं हैं, उन्हें स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के तर्ज पर बैंकों से जोड़ कर आर्थिक रूप से सबल बनाया जा सकता है.
वित्तवर्ष 2021-22 में ग्रामीण अवसंरचना विकास के लिए आवंटन की राशि को बढ़ा कर 40,000 करोड़ रुपये किया गया है, जो वित्तवर्ष 2020-21 में 30,000 करोड़ रुपये था. सूक्ष्म सिंचाई परियोजना कोष को भी दोगुना कर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इन प्रावधानों से ग्रामीण आधारभूत संरचना में मजबूती आयेगी, साथ ही सुविधाओं का भी विस्तार होगा. वित्तमंत्री ने चालू वित्त वर्ष के 4.39 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले अगले वित्त वर्ष के लिए 5.54 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा है. उत्पादन आधारित योजना (पीएलआइ) पर पांच वर्षों में 1.97 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे.
पूंजीगत व्यय पूरा करने के लिए सरकार राज्यों और स्वायत्त निकायों को दो लाख करोड़ रुपये मुहैया आधारभूत संरचना को और भी मजबूत करने के लिए करायेगी. रेलवे को 2021-22 के लिए 1,10,055 करोड़ रुपये दिये गये हैं, जिसमें से 1,07,100 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए दिये गये हैं. कोरोना महामारी से उबरने में खर्च में बढ़ोतरी करना जरूरी है. इसके जरिये ही मांग और आपूर्ति को बढ़ाया जा सकता है. आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में सरकार को मदद मिलेगी. वित्तवर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटे के 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. यह बजटीय अनुमान से भले ही अधिक है, लेकिन फिलवक्त विकास की गति को बढ़ाने के लिए इस मोर्चे पर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है.
वर्ष 2021 में मुद्रास्फीति के 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. मुद्रास्फीति के निचले स्तर पर रहने पर आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने में मदद मिलेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 11 प्रतिशत की दर से वृद्धि होगी और नॉमिनल जीडीपी 15.4 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी. ये आंकड़े आगामी महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर के गुलाबी होने की बात कह रहे हैं. कहा जा सकता है कि बजट में समावेशी विकास के वाहक आधारभूत संरचना खास करके ग्रामीण आधारभूत संरचना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, बैंकिंग क्षेत्र, एमएसएमई क्षेत्र आदि को मजबूत बनाने पर विशेष जोर दिया गया है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)
Posted by: Pritish Sahay