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उम्मीद अभी बाकी है
हर वर्ष 8 मार्च को हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं. महिलाओं ने हर वह क्षेत्र, जो उनसे अछूता था और जहां केवल पुरुषों का वर्चस्व था, में अपनी दमदार उपस्थति दर्ज की हैं. महिलाओं की जिम्मेदारी केवल पुरुषों की बराबरी करने तक ही सीमित नहीं. यह अच्छी बात हैं कि महिलाएं आगे बढ़ रहीं […]
हर वर्ष 8 मार्च को हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं. महिलाओं ने हर वह क्षेत्र, जो उनसे अछूता था और जहां केवल पुरुषों का वर्चस्व था, में अपनी दमदार उपस्थति दर्ज की हैं. महिलाओं की जिम्मेदारी केवल पुरुषों की बराबरी करने तक ही सीमित नहीं. यह अच्छी बात हैं कि महिलाएं आगे बढ़ रहीं हैं. भावी पीढ़ी के लिये यह अत्यावश्यक भी है.
महिलाओं को इसी से संतुष्ट होकर नहीं रुकना चाहिए. प्रकृति ने उन्हें अलग बनाया हैं. उन्हें यह समझना होगा कि बच्चों को जन्म देने के अलावा प्रकृति ने उन्हें राष्ट्र निर्माण के महती कार्य के लिये भी बनाया हैं. आज किसी भी विकसित राष्ट्र में महिलाओं के कार्य को नकारा नहीं जा सकता. अभी समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे दहेज हत्या ,डायन प्रथा,कन्या भ्रूण हत्या आदि को इनकार नहीं किया जा सकता. पर यह नारी की जिजीविषा ही है, जो तमाम रुकावटों के बावजूद आगे बढ़ रही हैं. यानी उम्मीद अभी बाकी हैं.
सीमा साही ,बोकारो
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