वस्तुओं का अभाव और उनकी बदलती कीमत से त्रस्त लोग खुदरा पैसे के लेन–देन से भी त्रस्त हैं. अधिकतर दुकानों में लिखा मिलेगा कि कृपया खुदरा दें! दुकानदार बोलते हैं कि मैं खुदरा कहां से लाऊं, आप देंगे तभी तो मैं दूंगा.
यही बात ग्राहक कहते हैं कि मेरे घर पर तो खुदरा होता नहीं, आप देंगे तभी तो, वरना मैं कहां से लाऊंगा? इसका हल दुकानदारों ने निकाला है. खुदरा वापसी के जगह पर वे उतने मूल्य की टॉफी या कोई और सामान दे देते हैं. रिजर्व बैंक ने भी एक अच्छा कदम उठाया कि पचास पैसे का सिक्का ही खत्म कर दिया.
वैसे भी इस महंगाई में पचास पैसे की क्या बिसात! वह दिन दूर नहीं, जब एक व दो रुपये का सिक्का भी बंद हो जायेगा. बच जायेगा तो सिर्फ पांच रुपये का सिक्का. अच्छा ही है, हम तरक्की जो कर रहे हैं! अच्छा होगा, हर चीज की कीमत राउंड फिगर में कर दी जाये.
टीएसपी सिन्हा, मानगो, जमशेदपुर