सड़कें देश की जीवन रेखा हैं, जिन पर देश की प्रगति आधारित है. वैसे तो देश में बहुत केंद्रीय सड़क और ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के अलावा एनएचएआइ, नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और राज्य सरकारों के विभाग भी हैं, मगर बड़े दुःख की बात है कि आजादी के 68 वर्षों बाद भी देश की सड़कों की हालत एकदम दयनीय, खतरनाक, जानलेवा और जामदेवा हो चुकी है.
एक्सप्रेसवे और राजमार्गों पर जनता और वाहनों के पार करने के लिए अंडरपास ही नहीं हैं, जिससे अनगिनत बड़ी दुर्घटनाएं प्रतिवर्ष होती हैं. सड़कों पर अतिक्रमण की आंधी दिल्ली जैसे महानगरों में जब आम है, तो बाकी शहरों का क्या होगा? अधिकतर सड़कों पर फुटपाथ ही नहीं है, जिससे पैदल भी दूभर है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
– वेद प्रकाश, ई-मेल से