बिहार अन्य राज्यों से काफी पिछड़ा हुआ है. यहां बेकारी और बेरोजगारी की लकीर दिन-प्रतिदिन लंबी होती जा रही है. यही नहीं यहां बेहतर शिक्षा, चिकित्सा व लॉ एंड ऑर्डर का स्तर का ग्राफ जनता की उम्मीदों से काफी नीचे है, जो बेहद ही चिंता का विषय है. यह भी सच है कि राज्य की सरकार लगातार प्रयत्नशील है.
विकास के पथ पर चलने पर सफलता पूरी तरह मिलने में अभी काफी वक्त और लगेगा. इसके लिए सरकार को ऐसा कुछ करना होगा, जिससे राज्य से जनता का पलायन का सिलसिला थम जाये. राज्य में शिक्षा का स्तर और बेहतर पढ़ाई के लिए दूसरे प्रदेशों में न जाना पड़े. अपने राज्य में अपने लोगों के सुरक्षित रखने के लिए लॉ-एंड-ऑर्डर के स्तर में काफी सुधार करने की जरूरत है. बिजली की िस्थति में भी काफी सुधार हुआ है, परंतु अभी बहुत सुधार होना बाकी है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां अभी बिजली नहीं पहुंच पायी है. कहीं पहुंच भी पायी है, तो आधी-अधूरी.
पोल है तो तार नहीं वाली स्थिति है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काफी सुधार की आवश्यकता है. हालांकि सरकार ने बहुत हद तक सुधार की है, परंतु जनता की उम्मीदों व जरूरतों से काफी नीचे है. वहीं, विद्यालयों में भी सुधार की काफी गुंजाइश है. शिक्षकों की कमी को दूर करने की दिशा में भी सरकार ने प्रयास किया, परंतु सफल नहीं दिख रही है. शिक्षा मित्र, नगर पंचायत शिक्षक, नगर शिक्षक आिद की बहाली कर अध्यापकों की कमी को दूर करने का प्रयास किया गया, परंतु अन्य कमी को पूरा करने पर ध्यान नहीं है. सरकार को सर्वप्रथम विद्यालयों में पठन-पाठन का सर्वोत्तम माहौल बनाना होगा. अंतत: इतना ही कहना चाहूंगा कि िवकसित िबहार की परिकल्पना तभी साकार होगा, जब रोजगार के मार्ग प्रशस्त होंगे.
नवीन कुमार, बड़ी संगत, खुसरूपुर