अभी मार्च महीने में पारित रेल बजट में हमारे नीति निर्धारकों ने प्लेटफार्म टिकट का दाम पांच रुपये से बढ़ा कर 10 रुपये कर दिया. यह दाम एक अप्रैल से लागू भी हो गया. वहीं, नजदीक के स्टेशन का लोकल टिकट प्लेटफार्म टिकट से कम कीमत पर, सिर्फ पांच रुपये में मिल जाता है और उसकी वैधता भी पूरे 24 घंटे की होती है.
अब यदि हम 10 रुपये का प्लेटफार्म टिकट लेते हैं, तो उसकी वैधता दो घंटे की होगी, तो आखिर हम प्लेटफार्म टिकट खरीदे ही क्यों? यदि हमें स्टेशन पर किसी का इंतजार ही करना है, तो ज्यादा कीमत चुका कर दो घंटे की वैधतावाला टिकट लेने से बेहतर है कि हम पांच रुपये के लोकल ट्रेन का टिकट खरीद कर पूरे 24 घंटे तक इंतजार करें. यह बात हमें समझ में नहीं आती कि एयरकंडीशन कमरों में बैठ कर किस हिसाब से नीतियों का निर्धारण किया जाता है?
विनोद गुप्ता, ई-मेल से