* खास पत्र
।। सैंकी गुप्ता ।।
(गोमो)
छपरा में मिड-डे मील खाने के बाद हुई 23 बच्चों की मौत ने पूरे देश को सन्न कर दिया. चाचा नेहरू के इस देश में यह क्या हो रहा है? हम किस देश में जी रहे हैं, जहां मासूमों की मौत पर इतने दिन बीत जाने के बाद भी देश के प्रथम व्यक्ति माननीय राष्ट्रपति महोदय ने दुख तक नहीं जताया? लेकिन हां, उनकी उपस्थिति में रविवार, 21 जुलाई 2013 को द न्यू बिहार रिकाइंडलिंग गवर्नेस एंड डेवलपमेंट नामक किताब का विमोचन किया गया.इसका संपादन जदयू के राज्यसभा सदस्य एनके सिंह और एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने किया है, जिसमें बदलते हुए बिहार का दस्तावेजीकरण किया गया है.
लेकिन हाल के घटनाक्रमों के बाद यह किताब हास्यास्पद हो चली है. हर मसले पर चुप्पी साध लेनेवाले हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने भी इस ‘मिड-डे मर्डर’ पर चुप्पी नहीं तोड़ी, जबकि यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है. सोनिया गांधी हों या ‘युवराज’ राहुल गांधी, सभी इस घटना से अलग- थलग दिखे.
हो सकता है, इनकी नजरों में यह छोटी सी घटना हो, पर हमें अमेरिका से भी कुछ सीखना चाहिए जहां करीब एक साल पहले एक स्कूल में हुई गोलीबारी की घटना में कुछ बच्चों की मौत पर न केवल बराक ओबमा घटनास्थल पर पहुंचे, बल्कि देश के नाम तुरंत एक संदेश भी दिया, ताकि लोगों का सरकार के प्रति विश्वास न टूटे. उस समय उनकी आखों से आंसू तक छलक आये.
खैर, इन सबके बीच विपक्ष के कद्दावर नेता भी इससे दूर दिखे. चाहे वह अपने एक इस्तीफे से पार्टी मे खलबली मचाने वाले एलके आडवाणी हों या बुर्का और पिल्ले के दम पर सुर्खियों मे रहनेवाले भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों. दूसरी ओर सुशासन मॉडल के आका नीतीश कुमार की भी पोल अब खुलती जा रही है.