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हुदहुद ने खोल दी व्यवस्था की पोल

चक्रवाती तूफान हुदहुद ने झारखंड में ज्यादा तबाही तो नहीं मचायी, लेकिन अपने पीछे कई सवाल जरूर छोड़ गया है. ये सवाल आपदा प्रबंधन से जुड़े जरूर हो सकते हैं, लेकिन साथ ही इनका वास्ता प्रशासनिक ढांचे और विभिन्न रेगुलेटरी बॉडी द्वारा नियमों की अनदेखी से भी है. जमशेदपुर में एक बहुमंजिली इमारत के बेसमेंट […]

चक्रवाती तूफान हुदहुद ने झारखंड में ज्यादा तबाही तो नहीं मचायी, लेकिन अपने पीछे कई सवाल जरूर छोड़ गया है. ये सवाल आपदा प्रबंधन से जुड़े जरूर हो सकते हैं, लेकिन साथ ही इनका वास्ता प्रशासनिक ढांचे और विभिन्न रेगुलेटरी बॉडी द्वारा नियमों की अनदेखी से भी है.
जमशेदपुर में एक बहुमंजिली इमारत के बेसमेंट में हुदहुद के कारण हुई भारी बारिश से आठ फीट तक पानी भर गया. इस इमारत के सभी निकासी द्वार बेसमेंट में ही निकलते हैं. ना कोई आपातकालीन द्वार और ना ही ग्राउंड फ्लोर से बाहर निकलने की व्यवस्था. फ्लैटवासी यहां 24 घंटे तक फंसे रहे.
आजकल ज्यादातर पार्किग स्पेस और निकासी द्वार ग्राउंड फ्लोर से नीचे बने बेसमेंट में ही होते हैं. आपदा की स्थिति में बहुमंजिली इमारतों में निकासी द्वार की इमरजेंसी व्यवस्था ना होना, बड़ा नुकसान कर सकता है. बाढ़ की स्थिति में सबसे पहले इमारतों के बेसमेंट में पानी भरता है. इन्हीं बेसमेंट में तमाम विद्युत आपूर्ति और लिफ्ट के उपकरण लगे होते हैं.
यानी यहां आग लगने की आशंका सबसे अधिक होती है. साथ ही भूकंप की स्थिति में सबसे ज्यादा खतरा भी बेसमेंट में ही होता है. ऐसे में बेसमेंट के अलावा ग्राउंड फ्लोर से निकासी द्वार नहीं बनाना बड़े हादसे को न्योता देना है. आपदा प्रबंधन की बातों को इमारतों के नक्शे पारित करते समय ध्यान में रखा जाना बेहद जरूरी है.
जिले में आपदा प्रबंधन की बैठकों में बहुमंजिली इमारतों में आपदा से निपटने की तैयारियों व उपायों का जायजा लिया जाना चाहिए. इसके लिए प्रशासन की ओर से दिशा-निर्देश सभी बिल्डरों को जारी किया जाना चाहिए ताकि वैसी इमारतों में जहां इन बातों का ख्याल नहीं रखा गया है, वहां भी इस पर उपाय किये जाने संभव हो सकें. आपदा प्रबंधन की सही तैयारी तभी संभव है जब इसके उपाय पहले से किये जायें.
तय मापदंडों का पालन किया जाये. चाहे वह इमारतों के निर्माण से जुड़े हों, या फिर बाजार, दुकानों के संदर्भ में. बारिश के पानी के निकासी का मसला हो या फिर अग्निकांड से बचने के लिए होनेवाले उपायों के या भूकंपरोधी उपाय.
इसके लिए प्राशसनिक पहल के साथ-साथ आमलोगों में जागरूकता भी बेहद जरूरी है. सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों को मिल कर इस दिशा में प्रयास किये जाने चाहिए, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए हम पहले से तैयार हों.

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