युगपुरुष श्री रामचंद्रजी ने घोर अहंकारी रावण का अंत करके बुराई पर अच्छाई की जीत कायम की. रामायण के माध्यम से लोगों को एक बहुमूल्य संदेश दिया. स्पष्ट है कि हर नारी को माता सीता के समान सरल, शालीन और पतिव्रता होना चाहिए. हर पुरु ष को श्रीराम समान कर्तव्यपरायण और त्यागी होना चाहिए. हमारे हृदय में लक्ष्मण समान भ्रातृप्रेम होना चाहिए.
लेकिन आज हमारा समाज विपरीत राह पर अग्रसर है. समाज के ज्यादातर लोग श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण के बजाय दुराचारी रावण के आदर्शो को अपना रहे हैं. धार्मिक स्थलों पर नशा का सेवन हो रहा है. नशे में धुत मानव रूपी रावण हमारी माताओं और बहनों पर बुरी नजर डाल रहे हैं. भाई, भाई के शत्रु बनते जा रहे हैं. श्रीराम के आदर्शो पर चलने वाले लोग दब्बू बनते जा रहे हैं. कुल मिला कर आज रावण ही राम पर हावी है.
माणिक मुखर्जी, सरायकेला-खरसावां