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कर्ज सस्ते होने के आसार

सतीश सिंह आर्थिक मामलों के जानकार singhsatish@sbi.co.in मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पांच दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में रेपो और रिवर्स रेपो दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था.पिछली मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गयी थी, जिससे रेपो दर कम होकर 5.15 प्रतिशत हो गया. पांच दिसंबर […]

सतीश सिंह

आर्थिक मामलों के जानकार

singhsatish@sbi.co.in

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पांच दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में रेपो और रिवर्स रेपो दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था.पिछली मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गयी थी, जिससे रेपो दर कम होकर 5.15 प्रतिशत हो गया. पांच दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती नहीं करने का मुख्य कारण खुदरा महंगाई में तेजी के आसार और बैंकों द्वारा नीतिगत दर में पूर्व में की गयी कटौतियों का पूरा फायदा बैंक कर्जदारों को नहीं देना था.

रिजर्व बैंक ने 2019 में फरवरी से अक्तूबर तक में रेपो दर में 135 आधार अंकों यानी 1.35 प्रतिशत की कटौती की है, लेकिन सरकारी बैंकों ने ग्राहकों को 40 आधार अंकों यानी 0.40 प्रतिशत का फायदा दिया है, जबकि निजी बैंकों ने इसका फायदा ग्राहकों को लगभग न के बराबर दिया है. इसलिए, केंद्रीय बैंक को बैंकों को एक अक्तूबर से फ्लोटिंग दर पर दिये जानेवाले नये खुदरा उधारी दरों को बाहरी मानक दर यानी रेपो दर से जोड़ने का निर्देश देना पड़ा.

वित्त सचिव राजीव कुमार के अनुसार बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में पूंजी है. कुमार का कहना है कि बैंक सभी प्रकार क्रेडिट जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं. त्योहारी सीजन अक्तूबर में सरकारी बैंकों ने लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये का ऋण बांटा था. कुमार के अनुसार अक्तूबर 2019 में एनबीएफसी को 19,627.26 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है.

अक्तूबर में 1.22 लाख रुपये का कॉरपोरेट ऋण दिया गया है. अक्तूबर महीने में ही कृषि क्षेत्र को 40,504 करोड़ रुपये और एमएसएमइ क्षेत्र को 37,210 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है. वहीं 12,166 करोड़ रुपये के गृह ऋण और 7,058 करोड़ रुपये के ऑटो ऋण भी दिये गये हैं. हालांकि, इसे अपेक्षित नहीं माना जा सकता है.

ऋण वितरण में तेजी लाने के लिए भारतीय स्टेट बैंक ने नौ दिसंबर को एक साल वाले सभी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेज्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) की दर 0.1 प्रतिशत कम कर दी, जो 10 दिसंबर से लागू हो गयी है. इससे एमसीएलआर के आधार पर दिये जानेवाले सभी कर्जों की ब्याज दरें घटेंगी. इस कारण इन कर्जों की मासिक किस्त के रूप में ग्राहकों द्वारा जमा की जानेवाली राशि भी कम हो जायेगी.

एक साल का एमसीएलआर घटने का मतलब यह है कि जिन ग्राहकों ने एमसीएलआर आधारित फ्लोटिंग दर पर गृह ऋण ले रखा है, उनकी मासिक किस्तें कम होंगी. एसबीआइ ने एमसीएलआर में लगातार आठवीं बार कटौती की है. सस्ती पूंजी उपलब्ध होने की वजह से स्टेट बैंक ने सभी अवधि के एमसीएलआर में 0.1 प्रतिशत की कटौती की है. ताजा कटौती से 1 साल की एमसीएलआर की नयी दर आठ प्रतिशत से घटकर 7.9 प्रतिशत हो गयी है. एचडीएफसी बैंक ने एमसीएलआर में 0.15 प्रतिशत की कमी की है. नयी दर सात दिसंबर से लागू है.

एसबीआइ और एचडीएफसी के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अपने कर्ज पर ब्याज की दर घटाने की घोषणा की है. इन बैंकों ने एमसीएलआर में 0.20 प्रतिशत तक की कटौती की है. इसके बाद इन बैंकों के गृह, कार और पर्सनल लोन सस्ते हो गये हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा ने एमसीएलआर में 0.20 प्रतिशत तक की कटौती की है.

नयी दरें 12 दिसंबर से लागू हो गयी हैं. यूको बैंक ने एमसीएलआर में में 0.10 प्रतिशत तक की कटौती की है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने एक साल के एमसीएलआर को 0.05 प्रतिशत कम किया है, जिससे यह घटकर 8.20 प्रतिशत हो गया है. यूनियन बैंक ने एक साल के कर्ज पर एमसीएलआर को 8.25 प्रतिशत से घटा कर 8.20 प्रतिशत कर दिया है, जबकि एक दिन के कर्ज पर एमसीएलआर को 0.10 प्रतिशत से कम करके 7.75 प्रतिशत कर दिया है. वहीं, एक महीने से छह महीने के अवधि के कर्ज के लिये एमसीएलआर को 7.80 से 8.05 प्रतिशत के बीच रखा है.

इलाहाबाद बैंक ने एमसीएलआर में 0.05 प्रतिशत की कटौती की है. नयी दरें 14 दिसंबर से लागू हुई हैं. इलाहाबाद बैंक के अनुसार बैंक की संपत्ति देनदारी प्रबंधन समिति ने मौजूदा एमसीएलआर की समीक्षा के बाद विभिन्न परिपक्वता अवधि के लिए इसमें 0.05 प्रतिशत की कटौती का फैसला किया है.

आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पांच दिसंबर को की गयी मौद्रिक समीक्षा के दौरान कहा था कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों को घटाने की जल्दी में नहीं है. दास ने यह भी कहा था कि नीतिगत दर में पहले की गयी कटौती का पूरा फायदा बैंक के कर्जदारों को नहीं मिला है. बैंकों को दरों में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को जल्दी से जल्दी देना चाहिए.

जानकारों के अनुसार, नये ऋणों में बैंक अभी 0.44 प्रतिशत तक की कटौती कर सकते हैं. फिलहाल, सरकार की सबसे बड़ी और पहली प्राथमिकता अर्थव्यवस्था में छायी सुस्ती को दूर करना है. अर्थव्यवस्था के संकेतकों के अनुसार, देश में विविध उत्पादों की मांग कमजोर बनी हुई है.

मांग में तभी तेजी आयेगी, जब कारोबारियों और आम आदमी को सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होगा. अब भी नीतिगत दर में कटौती का पूरा फायदा बैंक कर्जदारों को नहीं मिला है और बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में सस्ती पूंजी भी उपलब्ध है, इसलिए बैंकों को कहा गया है कि वे नीतिगत दर में पूर्व में की गयी कटौती का पूरा फायदा बैंक कर्जदारों को दें. इस मामले में बैंकों ने सकारात्मक पहल की है. उम्मीद है कि आगे आनेवाले दिनों में भी बैंक कर्ज दर में और भी कटौती करेंगे.

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