पिछले दिनों अखबार के सिटी लाइफ सेक्शन में कैट वॉक करती युवतियों और युवकों की तसवीर सहित खबर छपी. इन तसवीरों में युवक पूरे कपड़े पहने बेहद सुंदर, शालीन और आधुनिक लग रहे थे. वहीं युवतियां एक-चौथाई कपड़ों में थीं.
उनके पैर और बांहें खुली हुई थीं. कपड़े घुटनों से काफी ऊपर, शरीर के कुछ अंगों की तरफ इशारा करते हुए से नजर आ रहे थे. मेरा सवाल है कि अगर युवक पूरे कपड़ों में आधुनिक और शालीन लग सकते हैं, तो युवतियों को आधे-अधूरे कपड़े पहनने की क्या जरूरत है?
यह हमारी सोच और मानसिकता की विकृति है कि हम औरतें अंग प्रदर्शन करके ही लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहती हैं. इससे समाज पर नकारात्मक प्रभाव ही पड़ रहा है. हमारी समझ में किसी भी चुनाव का पहला आधार शालीनता होनी चाहिए.
डॉ नंदा घोष, रांची