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भारत-चीन संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा दोनों देशों के आपसी रिश्तों को और आगे बढ़ायेगा और मजबूती प्रदान करेगा. लेकिन इतिहास से सबक लेने की जरूरत है. वर्ष 1954 में भी यह प्रयास तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू व चीनी प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था लेकिन इसका कोई खास असर नहीं दिखा. बल्कि वर्ष 1961 में युद्ध […]
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा दोनों देशों के आपसी रिश्तों को और आगे बढ़ायेगा और मजबूती प्रदान करेगा. लेकिन इतिहास से सबक लेने की जरूरत है.
वर्ष 1954 में भी यह प्रयास तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू व चीनी प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था लेकिन इसका कोई खास असर नहीं दिखा. बल्कि वर्ष 1961 में युद्ध हो गया. खैर इसके बाद रिश्तों में कड़वाहट व मिठास का सिलसिला लंबे समय से चलता आ रहा है.
वर्ष 2014 में भी साबरमती के सांस्कृतिक कार्यक्रम में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आये थे, लेकिन उसका भी कुछ खास फायदा नहीं मिला. चीन भारत का डोकलाम विवाद, अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी कई रूप में विवाद गहराता जा रहा है. अब इस यात्रा से हमें पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए रिश्तों को नये आयाम पर पहुंचाने की आवश्यकता है.
संकेत तिवारी, इमेल से
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