पिछले कुछ समय से भारतीय अर्थव्यवस्था दबाव में थी और विकास दर में गिरावट आ गयी थी. इसके वैश्विक स्तर पर कई कारण रहे, पर नोटबंदी से पूर्व भारत चीन और अमेरिका जैसी आर्थिक शक्तियों को पीछे छोड़ने की स्थिति में था, लेकिन नोटबंदी के सरकारी फैसले से निश्चिततौर पर विकास दर में गिरावट आयी.
नोटबंदी से छोटे और मंझोले उद्योग बंद हो गये और लाखों में कामगार बेरोजगार, पर नोटबंदी के इतने दिन बाद अर्थव्यवस्था में सुधार बताकर सरकार खुश होने का मौका दे रही है. इन आंकडों से बंद हो चुके उद्योगों को और रोजगार छिन चुके कामगारों को क्या फायदा होगा? इनको मुसीबत से निकालने के लिए सरकार के पास कोई योजना भी नहीं है.
राजन राज, रांची