30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

तनाव भगाने के तकनीक

संतोष उत्सुक स्वतंत्र टिप्पणीकार लीजिये जनाब, तनाव दूर करने के फेल होते अचूक नुस्खों के बीच ‘नयी तकनीक’ आ गयी. वैसे तो हिंदुस्तानी किसी भी बात से ज्यादा परेशान नहीं होते, पर कभी-कभी दिल में ख्याल आता है कि कहीं लोग फूहड़ तरीकों से हंस-हंस कर ऊबने तो नहीं लग गये हैं. इतना रंगीला, सजीला, […]

संतोष उत्सुक

स्वतंत्र टिप्पणीकार

लीजिये जनाब, तनाव दूर करने के फेल होते अचूक नुस्खों के बीच ‘नयी तकनीक’ आ गयी. वैसे तो हिंदुस्तानी किसी भी बात से ज्यादा परेशान नहीं होते, पर कभी-कभी दिल में ख्याल आता है कि कहीं लोग फूहड़ तरीकों से हंस-हंस कर ऊबने तो नहीं लग गये हैं. इतना रंगीला, सजीला, हठीला व हंसीला मनोरंजन हो रहा है कि जिसने लोगों को रोना भुला दिया है. जो लोग सफल हैं जिंदगी का दंगल जीत रहे हैं, एक-दूसरे के साथ हंस रहे हैं, पार्टी कर रहे है, ‘फेस’ बुक पढ़ने रोज क्लास में जाते हैं, उनके भीतर भी तो तनाव कहीं-न-कहीं ज्वालामुखी की तरह सो रहा है.

डाॅक्टर तो मानते हैं कि कभी-कभी तो रोना भी चाहिए. इसलिए यह फाॅर्मूला बेहद कारगर रहेगा. लगता है क्राइंग क्लब शुरू करनेवाले समझ गये कि अब लोगों को रुलाने से भी पैसा कमाया जा सकता है. या मानवीय आधार पर यह कहें, तो बढ़ते तनाव का इलाज किया जा सकता है.

दरअसल, हमेशा माना यही जाता रहा है कि दुख का गीत-संगीत ही असली गीत-संगीत होता है. जीवन में खुशियां कम हैं, दुख ज्यादा. एक लाॅफ्टर थेरेपिस्ट द्वारा स्थापित क्राइंग क्लब वाले कहीं यह तो नहीं मानते कि हंस कर या दिखा कर कि हम खुश हैं, सब ठीक चल रहा है. यह मान लेने से बात नहीं बनती.

रूदाली की परंपरा समझाती है कि रोना भी एक कला है, लगता है यह प्रेरणा वहीं से आयी है. क्योंकि खुशी के आंसू व दुख के आंसू अलग-अलग आकार, रंग व प्रकृति के होते हैं. अब तनाव झेल रहे, खुश मगर रोना भूल चुके व्यक्तियों को अलग-अलग तरीकों से रुलाये जाने के प्रयास होंगे. हो सकता है शुरू-शुरू में लोग मुफ्त में रोने को तैयार न हों. कुछ पैसे देकर रोना शुरू करें और जब यह व्यवसाय सफल हो जाये, तो रोने के सेशन का हिस्सा होने के लिए कीमत अदा करें.

तनाव के प्रकार के मुताबिक, उनके दिल को बाहर से छूकर, दिमाग की छत पर प्यार से हाथ फेर कर या पेट के पास नॉनगुदगुदी करके या फिर जोर से मार कर रुलाया जायेगा. यहां शंका उगती है कि दूसरों को रुला कर सफल होने की कोशिश करनेवाला बंदा रोयेगा क्या.

रोने से तो इंसान भावुक होना शुरू हो जायेगा और अगर सचमुच यह तकनीक सफल हो गयी, दुख तकलीफ देनेवाला पदार्थ आंसू बन कर बह निकला, तब तो उसमें भावनाओं का पुनर्जन्म हो जायेगा. फिर तो वह इस प्रतियोगी दुनिया में कैसे आगे बढ़ेगा? रुला कर तनाव दूर भगानेवालों का धंधा चल निकला, तो हंसानेवाले क्या करेंगे? क्योंकि लोग बताते हैं कि किसी को हंसाना मुश्किल काम है. कहीं पुराने आजमाये हुए नुस्खों को कैश तो नहीं किया जा रहा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें