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सुरक्षित निवेश का विकल्प है पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, जानिए क्या हैं इसकी खासियतें और कैसे खुलता है खाता

पीपीएफ सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो चला है. यह ईपीएफ एकाउंट से अलग है. ईपीएफ कर्मचारियों की भविष्य निधि से जुड़ा, जिसमें उसके वेतन का एक अंश काट कर जमा किया जाता है. पीपीएफ यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड का लाभ कोई भी व्यक्ति ले सकता है और ईपीएफ की तरह उसमें […]

पीपीएफ सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो चला है. यह ईपीएफ एकाउंट से अलग है. ईपीएफ कर्मचारियों की भविष्य निधि से जुड़ा, जिसमें उसके वेतन का एक अंश काट कर जमा किया जाता है. पीपीएफ यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड का लाभ कोई भी व्यक्ति ले सकता है और ईपीएफ की तरह उसमें निवेश कर आयकर छूट, बेहतर रिटायरमेंट प्लानिंग और शानदार बचत कर सकता है.

केंद्र सरकार द्वारा संचालित पीपीएफ एक ऐसी योजना है, जिसे आप डाकघर या बैंक के माध्यम से चला सकते हैं. इसे कोई भी व्यक्ति खोल सकता है, चाहे वह नौकरी करता हो या नहीं करता हो. नौकरी करनेवाले, जिनका ईपीएफ एकाउंट होता है, वे भी अलग से पीपीएफ एकाउंट शुरू कर उसमें निवेश कर सकते हैं. इसे किसी भी डाकघर या स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से शुरू किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त आइसीआइसीआइ बैंक देश का पहला निजी क्षेत्र का बैंक है, जिसमें यह सुविधा प्राप्त है. यह खाता 15 साल के लिए होता है और मेच्योरिटी के बाद ही इसमें से पैसे निकाले जा सकते हैं. वैसे नये नियमों व प्रावधानों के मुताबिक बहुत ही जरूरी होने पर शर्तों के साथ इसमें जमा कुल पैसे में से कुछ अंश लोन के रूप में निकाले जा सकते हैं.

रिटायरमेंट प्लानिंग

पीपीएफ खाता शुरू करते हुए आप अपने रिटायरमेंट की प्लानिंग कर सकते हैं. यह 15 साल या उससे अधिक समय के लिए यानी एक लंबी अवधि के लिए सुरक्षित निवेश का विकल्प है. अवधि पूरी होने के बाद मिलनेवाली राशि पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है.

खाता फिर से सक्रिय करना

यदि आप कुछ वर्षों तक न्यूनतम निवेश नहीं कर पाते हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं. आप अपने खाते को फिर से सक्रिय कर सकते हैं. इसके लिए अंशदान की बकाया राशि के साथ प्रति वर्ष 50.00 रुपये की दर से दंड का भुगतान करना होगा.

कैसे खुलता है पीपीएफ खाता

पीपीएफ खाता खुलवाने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है. यह जरूरी नहीं कि आपका बैंक में या पोस्ट ऑफिस में पहले से खाता हो. आप इच्छानुसार किसी बैंक या डाकघर की शाखा का चयन कर लें, जहां आप खाता खुलवाना चाहते हैं. वहां आपको एक पीपीएफ फार्म मिलेगा, जिसको भर कर जमा करना होगा. इस फार्म में आपको अपने उत्तराधिकारी के नाम व पता के साथ उसका हस्ताक्षर देना होगा. इसके लिए आपको एक गवाह की भी जरूरत होगी. ध्यान रखें कि गवाह और उत्तराधिकार अलग-अलग व्यक्ति होने चाहिए. इस फार्म के साथ आपको अपने आइडी, एड्रेस प्रूफ की फोटोकॉपी और अपना एक फोटो देना होगा.

अब फार्म जमा करते समय आपको इस पीपीएफ खाते में पैसे जमा करने के लिए एक रसीद भरनी होगी. आप इच्छानुसार निवेश की रकम तय कर उस रसीद में भर दें. इस तरह पीपीएफ खाता खुल जायेगा. खाता खुलते ही आपको एक पासबुक मिल जायेगा, जिसमें जमा किये गये पैसों का उल्लेख रहेगा. आप इसमें न्यूनतम 500 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये प्रतिवर्ष जमा कर सकते हैं.

क्या हैं इसकी खासियतें

इसमें निवेश करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस खाते में आप जितनी चाहे उतनी राशि साल में कभी भी जमा कर सकते हैं. इस वर्ष इस राशि पर आपको 7.8 फीसदी ब्याज मिलता है.

15 वर्ष की अवधि के बाद यानी मेच्योरिटी के बाद जो राशि प्राप्त होती है वह कर मुक्त होती है. इसमें डाला गया पैसा, इस पर मिलने वाला ब्याज और मेच्योरिटी पर मिलने वाली रकम तीनों ही चीजें टैक्स फ्री हैं.

कोई भी बालिग व्यक्ति अपने नाम से या किसी नाबालिग के नाम से भी पीपीएफ खाता खोल सकता है. पीपीएफ की अवधि खत्म होने के बाद आप चाहे तो उसे पांच-पांच वर्ष के लिए बढ़ा सकते हैं.इस खाते को पोस्ट ऑफिस से बैंक या बैंक से पोस्ट ऑफिस स्थानांतरित या ट्रांस्फर कर सकते हैं.

जरूरत के अनुसार इस खाते में जमा राशि से लोन भी लिया जा सकता है.हर साल न्यूनतम मात्र 500 रुपये जमा करना अनिवार्य है. इसमें जमा करने की अधिकतम सीमा 1.5 लाख है. यह राशि आप 12 महीने में भी जमा कर सकते हैं. यदि आपका पहले से ही खाता है और अपने इस खाते में चालू वित्तीय वर्ष में न्यूनतम कंट्रीब्यूशन नहीं किया है, तो आपको प्रति साल के हिसाब से 50 रुपये जुर्माना देना होगा.

नये बदलावों के अंदर अब गंभीर बीमारी के इलाज और उच्च शिक्षा के लिए इस खाते को समयपूर्व बंद भी किया जा सकता है.

सरकार समय-समय पर ब्याज का निर्धारण करती है. पहले पीपीएफ में ब्याज की दर को लेकर सालाना आकलन होता था, लेकिन अब यह प्रति तिमाही होता है.

इसकी अवधि के दौरान अगर खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तो घोषित उत्तराधिकारी (नॉमिनी) को उस खाते का मालिक माना जाता है.

मेच्योरिटी से पूर्व खाता बंद करना

पहले यह सुविधा नहीं थी, लेकिन अब केंद्र सरकार ने समय से पहले पीपीएफ खाता बंद करने के लिए नियम तय कर दिये हैं. इसके अनुसार पीपीएफ खाते के पांच साल पूरा होने के बाद उच्च शिक्षा या इलाज जैसे कारणों के लिए इसे बंद किया जा सकता हैं. उच्च शिक्षा के लिए पीपीएफ खाता बंद करने के लिए भारत या बाहर के मान्यताप्राप्त संस्थान में दाखिले की पुष्टि के लिए किये गये फीस भुगतान की प्रति तथा अन्य दस्तावेज जमा करने होते हैं.

समय पूर्व पैसे निकालना

अगर आप पीपीएफ की बीच की अवधि में पैसे निकालना चाहते हैं, तो सातवें साल से निकाल सकते हैं. कुल जमा राशि का 50 प्रतिशत राशि कुछ शर्तों के साथ निकालने का विकल्प उपलब्ध है. उसके बाद के साल में भी आप पैसे निकाल सकते हैं.

लोन की सुविधा

पीपीएफ खाते में जमा की गयी राशि पर लोन भी लिया जा सकता है. पीपीएफ खाता खोलने के तीसरे वित्तीय वर्ष से लोन लेने की सुविधा मिल जाती है, लेकिन यह सुविधा छठे वित्तीय वर्ष तक के लिए दी जाती है. इसके तहत कुल जमा पैसे पर लोन नहीं मिलता. जिस वित्तीय वर्ष में लोन लेना हैं, उसके दो साल पहले के क्लोजिंग बैलेंस का मात्र 25 प्रतिशत ही लोन मिल सकता है. इस पर आपको दो प्रतिशत ब्याज 36 महीने तक देना होगा और उसके बाद की अवधि के लिए 6 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा.

लोन की कुछ शर्तें

1. आप जब तक एक लोन चुका नहीं देते, तब तक दूसरा लोन नहीं ले सकते हैं.

2. लोन को 36 महीनों के अंदर चुकाना पड़ता है.

80सी के तहत आयकर में छूट

इस खाते में जमा की गयी राशि पर आपको आयकर में छूट का लाभ मिलता है. आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख तक के निवेश पर यह छूट उपलब्ध है.

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