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चाकुलिया : 96 की उम्र में भी हिलोरें मारती हैं देश भक्ति की भावना

राजन कुमार सिंह सादगी के प्रतीक हैं स्वतंत्रता सेनानी चंद्र कुमार मिश्रा चाकुलिया : चाकुलिया नगर पंचायत के पुराना बाजार निवासी सादगी व सरलता के प्रतीक स्वतंत्रता सेनानी चंद्रकुमार मिश्रा (96) का स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष 21 वर्ष की उम्र से ही चाईबासा से शुरू हुआ था. बढ़ती उम्र के साथ आज उनकी याददाश्त कमजोर […]

राजन कुमार सिंह

सादगी के प्रतीक हैं स्वतंत्रता सेनानी चंद्र कुमार मिश्रा

चाकुलिया : चाकुलिया नगर पंचायत के पुराना बाजार निवासी सादगी व सरलता के प्रतीक स्वतंत्रता सेनानी चंद्रकुमार मिश्रा (96) का स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष 21 वर्ष की उम्र से ही चाईबासा से शुरू हुआ था. बढ़ती उम्र के साथ आज उनकी याददाश्त कमजोर हो गयी है. फिर भी देशभक्ति की भावना उनके मन में हिलोरे मारती है. उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के घाटमपुर गांव मूल निवासी श्री मिश्रा के पिता का नाम रघुनंदन मिश्रा तथा मां का नाम कमला देवी था. उनकी पत्नी भगवती देवी का देहांत हो चुका है.

चंद्रकुमार मिश्रा ने बताया कि वे उनके सहयोगी नित्य गोपाल राय, नसीरुद्धीन अंसारी, स्वतंत्रता सेनानी स्व गौरहरि मल्लिक, घानीराम हांसदा थे. वे अपने सहयोगियों के साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ साइकिल से घूम-घूम कर गांवों में बैठक किया करते थे. उन्होंने साइकिल से ही पश्चिम बंगाल के मेदनापुर तक जाकर स्वतंत्रता संग्राम की बैठक में भाग लिया था. अंग्रेजों से छिप कर वे कई माह मेदनापुर और चाईबासा में छिपे हुए थे. श्री मिश्रा ने बताया कि उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन से प्रभावित होकर वे आंदोलन में कूद पड़े. उन्होंने कहा कि आंदोलन करने का मुख्य उद्देश्य था कि देश से अंग्रेजी हुकूमत खत्म करना था.

ताकि देश को आजादी मिले और अपना शासन हो. चारों ओर खुशियां ही खुशियां होंगी. परंतु ऐसा नहीं हो पाया. भारत आजादी के बाद देश की वर्तमान स्थिति पर दुख प्रकट करते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि आज देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. पहले देश के नागरिकों के बीच जो प्रेम और भाईचारा देखने की मिलता था वह अब नहीं है. आजादी के पूर्व देश बाहरी शक्तियों से जूझ रहा था और अब आपस में जूझना पड़ रहा है.

अंग्रेजों के सूचना तंत्र को नष्ट करने का था मिशन : श्री मिश्रा ने कहा कि स्वतंत्रता संग्रामियों का उद्देश्य होता था अंग्रेजों के सूचना तंत्र को नष्ट करना. वे सभी कई बार अंग्रेज के सूचना तंत्र को नष्ट किया था. एक बार वे टेलीफोन के खंभे पर चढ़ कर तार का कनेक्शन काटते वक्त वे पकड़े गये. उन्हें जेल भेजा गया था. उन्होंने बताया कि वे मध्यम वर्गीय परिवार से हैं. उनके चार पुत्र और एक पुत्री है. वे अपने पुत्र विजय मिश्रा के साथ रह रहे हैं.

अब्दुल कलाम ने किया था सम्मानित : श्री मिश्र ने बताया कि उन्हें दिल्ली में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम समेत अन्य के हाथों सम्मान मिल चुका है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के पावन के मौके पर सभी से अपील है कि आपसी एकता और भाईचारा को बनाये रखें.

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