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सिलीगुड़ी : लेखिका के सपनों को साकार करने में जुटी पारिजात वेलफेयर सोसायटी

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी पारिजात वेलफेयर सोसायटी के सेवा कार्यों का इतिहास तकरीबन 14 वर्ष पुराना है. यह कहना है संस्था के संस्थापक सचिव जीतेन पाल का. उन्होंने बताया कि नेपाली भाषा की प्रसिद्ध लेखिका पारिजात दार्जिलिंग के लिंगिया चाय बागान की रहनेवाली थीं. उन्होंने अपनी जिंदगी भाषा-संस्कृति के विकास में लगायी. उन्होंने कई उपन्यास, नाटक […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी पारिजात वेलफेयर सोसायटी के सेवा कार्यों का इतिहास तकरीबन 14 वर्ष पुराना है. यह कहना है संस्था के संस्थापक सचिव जीतेन पाल का. उन्होंने बताया कि नेपाली भाषा की प्रसिद्ध लेखिका पारिजात दार्जिलिंग के लिंगिया चाय बागान की रहनेवाली थीं. उन्होंने अपनी जिंदगी भाषा-संस्कृति के विकास में लगायी.
उन्होंने कई उपन्यास, नाटक के अलावा कविताएं भी लिखीं, जो नेपालीभाषियों में आज भी चर्चित हैं. उनके जीवन कर्म और सद्विचारों को जीवंत रखने के लिए सन 2005 में सिलीगुड़ी पारिजात वेलफेयर सोसायटी का गठन किया गया.
संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय एमबी राई, उपाध्यक्ष रेवा पाल, संयुक्त सचिव प्रभात गजमेर, कोषाध्यक्ष (शिक्षक) अवध कुमार साह, कार्यकारिणी सदस्य (शिक्षिका) दीपा छेत्री व शिक्षक नरेश सिंह को लेकर कुल सात सदस्यों ने संस्था की नींव रखी. आज सदस्यों की संख्या 29 हो गयी है. एबी राई के नहीं रहने पर अध्यक्षता की जिम्मेदारी का निर्वाह शिक्षिका रेखा प्रधान पूरी निष्ठा के साथ कर रही हैं.
बांग्ला में एमए किये जीतेन पाल ने बताया कि पारिजात द्वारा रचित दो नेपाली कहानी संग्रहों ‘साल्गीको बलात्कृत आँसु’ और ‘बधशाला जाँदा आउँदा’ का उन्होंने बांग्ला में अनुवाद किया है, जो बांग्लाभाषियों के बीच आज भी चर्चित हैं.
उन्होंने बताया कि सोसायटी की ओर से वर्ष भर कई तरह के सेवा कार्य किये जाते हैं. पारिजात की स्मृतियों को जीवित रखने के लिए वैशाख महीने में उनका जन्मदिवस मनाया जाता है.
शहर को स्वच्छ व सुंदर रखने के लिए गली-मोहल्ले की समय-समय पर साफ-सफाई की जाती है. हरियाली बढ़ाने हेतु पौधरोपण किया जाता है. इसके अलावा मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, रक्तदान शिविर, रक्तदान जागरूकता कार्यक्रम भी नियमित रूप से किये जाते हैं.
पारिजात की मूर्ति व सड़क विशेष उपलब्धि
जीतेन पाल ने बताया कि सिलीगुड़ी शहर में पारिजात की मूर्ति स्थापित करना संस्था की एक खास उपलब्धि है. पारिजात के साहित्यिक कर्म को समाज के हर तबके में पहचान दिलाने के लिए 2004 में मूर्ति स्थापना के लिए समिति बनायी गयी.
सभी सदस्यों के दो वर्षों के अथक प्रयास एवं सिलीगुड़ी महकमा परिषद की तत्कालीन सभाधिपति मणि थापा के विशेष सहयोग से एसजेडीए द्वारा चेकपोस्ट इलाके में ईस्टर्न बाइपास मोड़ पर पारिजात की विशाल मूर्ति स्थापित करने में संस्था को सफलता हासिल हुई. साथ ही पारिजात सम्मान अवार्ड भी संस्था का एक बड़ा काम है. इसके तहत समाज के लिए बड़ा योगदान देनेवालों को सम्मानित किया जाता है.
मूर्ति लगने के अलावा सिलीगुड़ी नगर निगम के 42 नंबर वार्ड अंतर्गत प्रकाशनगर के रामचंद्र नगर की एक सड़क जो पारिजात पब्लिक स्कूल के सामने से निकलती है उसे निगम ने कवियत्री पारिजात पथ के नाम से रिकॉर्ड किया है. यह पूरे नेपालीभाषी समुदाय के लिए गर्व की बात है.
पारिजात पब्लिक स्कूल कर रहा शिक्षा का प्रसार
समाज के हर वर्ग तक अच्छी शिक्षा की पहुंच हो, यह लेखिका पारिजात का सपना था. उनके सपनों को साकार करने के मकसद से 2006 में पारिजात पब्लिक स्कूल की नींव डाली गयी.
स्कूल के संस्थापक निदेशक सह प्राचार्य जीतेन पाल ने बताया कि वेस्ट बंगाल बोर्ड से मान्यता प्राप्त इस स्कूल में अंग्रेजी माध्यम में नर्सरी से 10वीं तक की पढ़ाई करवायी जाती है. स्कूल की शुरुआत मात्र 23 छात्र-छात्राओं से हुई थी. आज संख्या 450 विद्यार्थियों तक पहुंच चुकी है.
स्कूल में कुल 16 शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं. प्राइमरी स्कूल का भार जीतेन पाल की नेपालीभाषी पत्नी गीता शर्मा पाल बतौर प्रभारी शिक्षिका संभाल रही हैं. जितेन पाल का कहना है कि आम लोगों के हित में इस स्कूल में नामांकन शुल्क नहीं वसूला जाता.

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