खुलासा. 60 हजार रुपये प्रतिमाह भुगतान लेने वाली संस्था की मनमानी
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अस्पतालों में ही कचड़े को फूंक रहे एनजीओ
खुलासा. 60 हजार रुपये प्रतिमाह भुगतान लेने वाली संस्था की मनमानी जहरीला धुंआ और बदबू से परेशान है मरीज शेखपुरा : जिले में सरकारी अस्पतालों के अंदर बायोमेडिकल कचड़े को नष्ट करने की व्यवस्था के लिए एनजीओ अपने दायित्वों का पालन नहीं कर रही है. कचड़े का नियमित उठाव कर उसे नष्ट करने की सुरक्षित […]
जहरीला धुंआ और बदबू से परेशान है मरीज
शेखपुरा : जिले में सरकारी अस्पतालों के अंदर बायोमेडिकल कचड़े को नष्ट करने की व्यवस्था के लिए एनजीओ अपने दायित्वों का पालन नहीं कर रही है. कचड़े का नियमित उठाव कर उसे नष्ट करने की सुरक्षित व्यवस्था है. इसके लिए जिला स्वास्थ्य समिति प्रति माह 60 से 70 हजार रुपये का भुगतान एनजीओ को करती है. बावजूद विभाग के इस योजना को एनजीओ लूट का जरिया बना चुके हैं. अस्पताल कैंपस में ही कचरे का ढेर लगा कर उसमें आग लगा देते है. एनजीओ के इस कारनामे से अस्पताल में केमिकल के जलने से उत्पन्न होने वाले खतनाक धुंआ मरीजों के सेहत पर बुरा प्रभाव छोड़ रहा है.
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इस पर नियंत्रण रखने वाले अधिकारी खुद को बेवस बताते हैं. अधिकारियों की माने तो कई बार एमजीओ के कार्यशैली को लेकर डीएचएस से लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति तक कई बार पत्राचार किया गया. बावजूद अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सका. नियमित भुगतान के बाद भी संक्रमण रोकने से जुड़े इस बड़े मामले में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है.
केमिकल जलने के बाद उगलता है जहरीला धुंआ
अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट सिस्टम के नाम पर स्वयंसेवी संस्थान का जो खेल जा रही है. उसमें मरीजों के दिमाग और सेहत पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. दरअसल सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम गृह से सटे ही अस्पताल के अंदर से निकलने वाले सिनर्जी बायोमेडिकल वेस्ट सामग्रियों में आग लगा कर नष्ट किया जाता है. इस प्रक्रिया में आग से निकलने वाले धुंआ जहरीले गैस के समान है. इस संबंध में डॉ अशोक कुमार ने बताया कि प्लास्टिक और रबर से बने मेडिकल की सामग्रियों के कचड़े को जलाकर नष्ट किया जाता है तो उसके धुएं से कार्बन मोनोऑक्साइड और मिथेलीन गैस का प्रवाह होता है. लगातार इन जहरीली गैसों के संपर्क में रहने वाले मरीज के दिमाग और शरीर के नसों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इस स्थिति में लोगों की जान भी जा सकती है. इस अवस्था को लेकर सरकारी अस्पतालों में जिस प्रकार मेडिकल से जुड़े कूड़े-कचरे में आग लगाने की व्यवथा है . इस व्यवस्था से बचाव को लेकर सुरक्षित निष्पादन में एनजीओ को चयनित कर जिम्मेवारी दी गई है. शेखपुरा में सिनर्जी बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नामक एजेंसी को यह जिम्मेदारी दी गयी है. बावजूद एजेंसी की कार्यशैली से जहां मरीजों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. वहीं स्वास्थ्य महकमा भी परेशान है.
कार्रवाई के लिए काई बार पत्राचार:
सिनर्जी बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नामक संस्थान के द्वारा बायोमेडिकल वेस्ट की प्रक्रिया को पूरा करने में जहां बड़ी लापरवाही देखने को मिल रहा है. वहीं स्वास्थ्य अधिकारी भी संस्थान के रवैया से खुद को परेशान बताते हैं. सदर अस्पताल प्रबंधक धीरज कुमार ने बताया कि एनजीओ की लापरवाही को लेकर 24 अक्तूबर व सात नवंबर को पत्र के माध्यम से जिला स्वास्थ्य समिति को स्थितियों से अवगत कराया गया है. इस पत्र में एनजीओ के कार्यशैली पर स्पष्ट रूप से असंतोष व्यक्त करते हुए कार्रवाई की भी बात कहीं गयी है. लेकिन अब तक इस दिशा में नहीं कोई सुधार हुआ और नहीं ही कोई कार्रवाई हो सकी.
क्या है मैनेजमेंट की व्यवथा
सिनर्जी बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था पर अगर नजर डालें तो इन्हें जिले के सदर अस्पताल के अलावा सभी पीएचसी से निकलने वाले मेडिसिन एवं अन्य स्वास्थ्य सामग्रियों के बेकार पदार्थों को नष्ट किए जाने के लिए सुरक्षित और तरीका अपनाया जाना है. इसके लिए शेखपुरा से कचड़ा का उठाव कर गया में संचालित ट्रीटमेंट प्लांट में नष्ट करने के लिए ले जाया जाता है. लेकिन अधिकारियों के मुताबिक संस्थान के द्वारा मनमाफिक तरीके से कचरा का उठाव किया जाता है. ऐसी परिस्थिति में लगातार अस्पतालों के कैंपस में ही कचरों में आग लगाकर बड़ी जिम्मेदारी की खानापूर्ति किया जा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले के अस्पतालों से बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट को लेकर एजेंसी को जिम्मेदारी दी गयी है. व्यवस्था के तहत अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल कचरों का उठाव पर गया के प्लांट में इसे सुरक्षित और तरीके से नष्ट किया जाना है. लेकिन नियमित रूप से इसका उठान नहीं होने के कारण भुगतान की प्रक्रिया को उठाव के आधार पर अपनाया जा रहा है. एनजीओ की लापरवाही को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति को पूर्व में ही कार्रवाई के लिए पत्राचार किया गया है.
श्याम कुमार निर्मल, डीपीएम, शेखपुरा
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