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रेलवे की ठोस पहल

यात्रियों की आवाजाही और सामान ढुलाई के साथ देश के कोने-कोने को जोड़ने में भारतीय रेल की भूमिका धमनी की तरह है. साल 2000 से आंकड़ों को देखें, तो यात्री आवागमन 200 फीसदी और माल ढुलाई में 150 फीसदी का इजाफा हुआ है, यानी देश के विकास को गति देने में रेल यातायात का बड़ा […]

यात्रियों की आवाजाही और सामान ढुलाई के साथ देश के कोने-कोने को जोड़ने में भारतीय रेल की भूमिका धमनी की तरह है. साल 2000 से आंकड़ों को देखें, तो यात्री आवागमन 200 फीसदी और माल ढुलाई में 150 फीसदी का इजाफा हुआ है, यानी देश के विकास को गति देने में रेल यातायात का बड़ा योगदान है.
जिस तरह से बाजार को बाजार से तथा आबादी के विभिन्न हिस्सों को एक सूत्र में पिरोने में भारतीय रेल की जो कामयाबी रही है, उसके समानांतर ढांचागत सुधार और सुविधाओं का अपेक्षित व मानक विस्तार नहीं हो सका है. इसका नतीजा ट्रेनों के देरी से चलने और दुर्घटनाओं के बढ़ते सिलसिले के रूप में हमारे सामने है. इससे लोगों को भी बड़ी परेशानी होती है और सामानों को भी समय से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना संभव नहीं हो पाता.
ट्रेनों के चलने में विलंब होने का एक बड़ा कारण क्रॉसिंग और सिग्नल की कमजोर व्यवस्था भी है. इसे बेहतर बनाने के लिए भारतीय रेल ने नयी तकनीकों पर आधारित सिग्नल सिस्टम लगाने और व्यस्ततम रेल स्टेशनों पर फ्लाईओवर बनाने जैसे काम शुरू किये हैं. फ्लाईओवरों के बन जाने से क्रॉसिंग की समस्या का समाधान होने के साथ ही ट्रेनों की औसत गति में भी इजाफा होगा.
देशभर में फ्लाईओ‌वरों के निर्माण के लिए भारतीय रेल ने बकायदा 250 व्यस्ततम रेल जंक्शनों की पहचान भी कर ली है. इन फ्लाइओवरों के निर्माण से ट्रेनें निर्धारित समय पर प्लेटफाॅर्म पर पहुंच सकेंगी. ट्रेनों की देरी रोकने के लिए रेल लाइनों का विस्तार तथा उसकी मरम्मत भी जरूरी है. यह भी अहम है कि नयी तकनीकों की मदद से संरचनागत सुधार की पहल हो.
मानवरहित रेल क्रॉसिंग देश में रेल हादसों का एक सबसे बड़ा कारण है. इसके समाधान के लिए इन लाइनों पर सुरक्षा मानकों का विस्तार, विशेषकर वार्निंग सिस्टम और सिग्नल सिस्टम को बेहतर बनाने जैसी पहलें जरूरी हैं. सीएजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्लेटफाॅर्म खाली नहीं होने के कारण ट्रेनें संबंधित स्टेशनों के बाहरी सिग्नल पर इंतजार करती हैं, जिससे काफी समय जाया होता है. रिपोर्ट इस बात को भी स्वीकार करती है कि बीते वर्षों में नयी ट्रेनें चलायी जाती रहीं, लेकिन उस हिसाब से ढांचागत व्यवस्था नहीं हो सकी.
ऐसे में जरूरी है कि अधिक भीड़भाड़ वाले स्टेशनों के लिए रेल लाइनों की क्षमता में बढ़ोतरी हो. एक सुविचारित योजना के तहत स्टेशनों के आधुनिकीकरण को भी प्राथमिकता मिले, जिसमें अतिरिक्त प्लेटफाॅर्मों व सफाई लाइनों का निर्माण जैसे काम शामिल हों. रेल यात्रा के लिए उच्चतम सुरक्षा मानकों के साथ-साथ समय पर आ‌वागमन बेहद जरूरी है.
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक विकास में भारतीय रेल के महत्व को देखते हुए सरकार के हालिया प्रयास सराहनीय हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसी कोशिशें लगातार जारी रहेंगी, ताकि रेल संचालन से जुड़ी मुश्किलें दूर हो सकें.

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