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जतरा खूंटा की पूजा के साथ मुड़मा मेला शुरू, मुड़मा जतरा सांस्कृतिक धरोहर : गंगोत्री कुजूर

मांडर : दो दिवसीय मुड़मा जतरा सोमवार को चालीस पाड़हा के पहान, महतो, पुजार, मुंडा, पैनभरा व विभिन्न राज्यों के सरना धर्म गुरुओं द्वारा जतरा खूंटा की पूजा अर्चना व दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हो गया. सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा की अगुवाई में बाजे-गाजे व पाड़हा के झंडे के साथ जतरा स्थल पर पहुंचे […]

मांडर : दो दिवसीय मुड़मा जतरा सोमवार को चालीस पाड़हा के पहान, महतो, पुजार, मुंडा, पैनभरा व विभिन्न राज्यों के सरना धर्म गुरुओं द्वारा जतरा खूंटा की पूजा अर्चना व दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हो गया. सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा की अगुवाई में बाजे-गाजे व पाड़हा के झंडे के साथ जतरा स्थल पर पहुंचे पाहनों ने अधिष्ठात्री शक्ति के प्रतीक जतरा खूंटा की परिक्रमा व पूजा अर्चना की.

यहां 40 पाड़हा के प्रतीक स्वरूप दीप भी जलाया. जतरा के उद्घाटन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के शामिल होने की घोषणा की गयी थी, लेकिन वे नहीं आये. बाद में स्थानीय विधायक गंगोत्री कुजूर व अन्य ने इसका उद्घाटन किया. इस दौरान गंगोत्री कुजूर ने मुड़मा जतरा व जतरा खूंटा को सांस्कृतिक धरोहर व शांति तथा सद्भावना का केंद्र बताया. उन्होंने कहा कि यह शक्ति खूंटा आनेवाले समय में आदिवासी समाज के विकास का केंद्र बिंदु बने इसके लिए प्रयास होना चाहिए.
धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने जतरा स्थल व जतरा खूंटा के इतिहास व महत्व पर प्रकाश डाला. कहा कि परंपरा और संस्कृति से जुड़े इस स्थल पर पाहनों ने आज पूजा अर्चना कर जतरा की सफलता के अलावा झारखंड ही नहीं पूरे देश की उन्नति के लिए आशीर्वाद मांगा है. समारोह में अोड़िशा के धर्मगुरु डीडी तिर्की, प्रखंड प्रमुख अनिता देवी, राकेश कुमार सिंह, निशा भगत ने भी विचार व्यक्त किये. संचालन बाबू पाठक व शिव उरांव ने किया.
इस अवसर पर अोड़िशा के धर्मगुरु झरियो केरकेट्टा, मुड़मा के पहान गुडुआ उरांव, श्याम उरांव, गोपाल उरांव, जतरू उरांव, रंथु उरांव, जगराम उरांव, अनिल उरांव, लक्ष्मण उरांव, सहदेव उरांव, महादेव उरांव, भवानी उरांव, प्रो रामकिशोर भगत, एतवा पहान, शिव पूजन भगत, तपेश्वर यादव, सुदीप तिग्गा, सुबोधनंद तिवारी, मनोहर साहू, छेदी प्रसाद, झारखंड छात्र संघ के एस अली, जिप सदस्य सुनील उरांव आदि मौजूद थे.
समापन पर परंपरागत निशान के साथ पहुंचेंगे पाड़हा के लोग : मेला का मुख्य आकर्षण समापन के दिन होता है. जब पाड़हा के लोग अपने परंपरागत पाड़हा निशान रंपा चंपा, लकड़ी के हाथी, घोड़े, मगरमच्छ, मछली, कंड़सा व झंडों के साथ नाचते गाते हुए मेला में शामिल होने आते हैं. धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने लोगों से मेला का शांतिपूर्ण माहौल में आनंद लेने की अपील की है.
मेला में मनोरंजन के साधनों की भरमार
आदिवासियों की परंपरा व संस्कृति से ओतप्रोत एक रात व दिन के 24 घंटे के इस मेला की शुरुआत से ही भीड़ उमड़नी शुरू हो गयी. मेला में खेल तमाशे, बिजली चालित झूले, मौत का कुआं, सर्कस, झूला, जादू के खेल समेत मनोरंजन के कई अन्य साधनों की भरमार है. सौंदर्य प्रसाधन, पारंपरिक वाद्य यंत्र, कृषि उपकरण, शस्त्र, शृंगार प्रसाधन, खिलौने, फास्ट फूड, ईख, मिठाई व खाने-पीने की सैकड़ों दुकानें लगी हुई है.
विभिन्न विभागों ने लगाये हैं स्टॉल
मेला में सूचना व जनसंपर्क विभाग, कृषि विभाग, भारतीय किसान संघ, स्वास्थ्य विभाग, पौधा संरक्षण व कई अन्य विभागों की ओर से स्टाल लगाये गये हैं. जहां लोगों को विभाग से संबंधित योजनाअों की जानकारी दी जा रही है.
प्रशासन है मुस्तैद
मेला में उमड़नी वाली भीड़ को लेकर प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है. डीएसपी पुरुषोत्तम कुमार सिंह, बीडीओ विष्णुदेव कच्छप, सीओ शंकर कुमार विद्यार्थी, थाना प्रभारी राणा जंग बहादुर सिंह रविवार से ही जतरा में कैंप किये हुए हैं. राजी पाड़हा मुड़मा जतरा संचालन समिति के लोगों ने बताया कि पांच सौ की संख्या में उनके स्वयंसेवक भी मेला में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं.

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