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रांची : 19 साल बाद पूर्व रजिस्ट्रार सहित पांच को दो साल सजा

रांची : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा की अदालत ने बुधवार को फर्जीवाड़ा एवं भ्रष्टाचार से जुड़े 19 साल पुराने मामले में रांची विश्वविद्यालय (विवि) के तत्कालीन रजिस्ट्रार माइकल कच्छप समेत पांच अभियुक्तों को दोषी करार देकर दो-दो साल कैद की सजा सुनायी है. साथ ही अभियुक्तों पर 20 हजार रुपये का जुर्माना […]

रांची : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा की अदालत ने बुधवार को फर्जीवाड़ा एवं भ्रष्टाचार से जुड़े 19 साल पुराने मामले में रांची विश्वविद्यालय (विवि) के तत्कालीन रजिस्ट्रार माइकल कच्छप समेत पांच अभियुक्तों को दोषी करार देकर दो-दो साल कैद की सजा सुनायी है. साथ ही अभियुक्तों पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माने नहीं देने पर अतिरिक्त सजा काटनी होगी.
सजा पानेवालों में माइकल कच्छप के अलावा रांची विश्वविद्यालय के सहायक अब्दुल बारी, पीपीके कॉलेज बुंडू के तत्कालीन प्राचार्य विद्याभूषण, सहायक घनश्याम महतो एवं फर्जी प्रमाण पत्र बनवानेवाला प्रदीप कुमार अग्रवाल उर्फ प्रदीप कुमार शामिल है़ं हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने जनवरी 2000 में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी़
क्या है मामला : सीबीआई के वरीय लोक अभियोजक राकेश प्रसाद ने बताया कि बिहार राज्य परिवहन विभाग ने 1998-99 में रांची से चाईबासा बस सेवा के लिए टेंडर निकाला था. टेंडर में स्नातक बेरोजगार को प्राथमिकता दी गयी थी़
प्रदीप कुमार ने टेंडर पाने के लिए बेरोजगार स्नातक होने का हवाला देकर शपथपत्र भरा था. टेंडर के दौरान टीपी सिंह ने इसका विरोध किया. कहा कि स्नातक की डिग्री फर्जी है. जांच करने के बाद ही टेंडर दिया जाये़ 1999 में हाइकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया़ मामले में सीबीआई की ओर से 20 गवाही दर्ज करायी गयी थी.

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