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जल संसाधन विभाग ने बनायी नयी संवेदक निबंधन नियमावली-2018

संवेदकों का निबंधन चार श्रेणी में किया जायेगा रांची : जल संसाधन विभाग के संवेदकों के लिए नयी निबंधन नियमावली बनायी गयी है. इसी नियमावली के आधार पर नये संवेदकों का निबंधन कराया जायेगा. इसे झारखंड जल संसाधन संवेदक निबंधन नियमावली-2018 के नाम से जाना जायेगा. संवेदकों का निबंधन चार श्रेणी में किया जायेगा. पहली […]

संवेदकों का निबंधन चार श्रेणी में किया जायेगा

रांची : जल संसाधन विभाग के संवेदकों के लिए नयी निबंधन नियमावली बनायी गयी है. इसी नियमावली के आधार पर नये संवेदकों का निबंधन कराया जायेगा.

इसे झारखंड जल संसाधन संवेदक निबंधन नियमावली-2018 के नाम से जाना जायेगा. संवेदकों का निबंधन चार श्रेणी में किया जायेगा. पहली श्रेणी के संवेदक 2.50 करोड़ से ऊपर के निर्माण के लिए सक्षम होंगे. दूसरी श्रेणी के संवेदक 50 लाख से 2.50 करोड़ तक का काम करा सकेंगे. तीसरी श्रेणी के संवेदक 10 से 50 लाख तक तथा चौथी श्रेणी के संवेदक 10 लाख से नीचे का काम करा सकेंगे. इसके लिए संवेदकों का निबंधन शुल्क भी तय किया गया है. पहली श्रेणी के संवेदकों के लिए निबंधन शुल्क दो लाख, दूसरी श्रेणी वालों के लिए एक, तीसरी श्रेणीवालों के लिए 25 हजार तथा चौथी श्रेणी वालों के लिए 10 हजार रुपये शुल्क लिये जायेंगे.

पांच साल के लिए वैध होगा निबंधन शुल्क

संवेदकों का निबंधन शुल्क पांच साल के लिए मान्य होगा. प्रत्येक श्रेणी के संवेदक को 11 अंकों का निबंधन कोड दिया जायेगा. विभाग के अभियंता प्रमुख-एक निबंधन पदाधिकारी होंगे. चारों श्रेणी में निबंधित संवेदक राज्य में कहीं भी काम में निविदा डालने के लिए सक्षम होंगे. निबंधन पदाधिकारी माह में एक बार लंबित निबंधन एवं नवीकरण मामलों पर विचार कर सकेंगे.

नियमित बैठक का प्रावधान

नियमावली में संवेदकों की समस्या और कठिनाइयों के निराकरण के लिए प्रमंडल स्तर पर त्रैमासिक और अंचल स्तर पर अर्द्ध वार्षिक बैठक आयोजित की जायेगी. इसमें संवेदक या उनके प्रतिनिधि हिस्सा ले सकते हैं. यदि संवेदक चाहें तो मुख्य अभियंता स्तर पर भी बैठक हो सकती है.

बड़े काम में बिना निबंधित ठेकेदार भी ले सकेंगे हिस्सा

नियमावली में प्रावधान किया गया है कि 2.5 करोड़ रुपये से अधिक के काम में बिना निबंधित ठेकेदार भी हिस्सा ले सकेंगे. कार्यादेश दिये जाने के दो माह के अंदर उनको श्रेणी-1 में निबंधन करना होगा. ऐसा नहीं करने पर उनका भुगतान रोक दिया जायेगा.

काली सूची में डाले जाने पर 10 साल नहीं कर सकते हैं काम

व्यक्तिगत या निबंधित फॉर्म को काली सूची में डालने का भी प्रावधान है. काली सूची में डाले जाने पर ठेकेदार 10 साल तक विभाग में काम नहीं कर सकते हैं. सरकारी कार्यालय में विधि व्यवस्था की समस्या पैदा करने से भी काली सूची में डाला जा सकता है. संबंधित पदाधिकारी या कर्मचारी को परेशान करने या हमला करने पर काली सूची में डाला जा सकता है. संवेदक द्वारा सरकारी सामान का दुरुपयोग करते पाये जाने पर व किसी आपराधिक गतिविधियों में सजायाफ्ता होने पर भी काली सूची में डाला जा सकता है. संवेदक द्वारा अपना कार्य किसी दूसरे संवेदक अथवा किसी व्यक्ति को बिना विभागीय आदेश सौंपने पर भी काली सूची में डाला जा सकता है.

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