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राष्ट्रीय खेल घोटाला : आरके आनंद और बंधु तिर्की के खिलाफ चार्जशीट

रांची : करोड़ों के राष्ट्रीय खेल घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गुरुवार को न्यायालय में आरके आनंद और बंधु तिर्की के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया है. राष्ट्रीय खेल आयोजन के दौरान बंधु तिर्की तत्कालीन खेल मंत्री और आरके आनंद झारखंड ओलिंपिक संघ के अध्यक्ष रहे थे. राष्ट्रीय खेल घोटाले और और मुकदमा […]

रांची : करोड़ों के राष्ट्रीय खेल घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गुरुवार को न्यायालय में आरके आनंद और बंधु तिर्की के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दिया है. राष्ट्रीय खेल आयोजन के दौरान बंधु तिर्की तत्कालीन खेल मंत्री और आरके आनंद झारखंड ओलिंपिक संघ के अध्यक्ष रहे थे. राष्ट्रीय खेल घोटाले और और मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने के बाद एसीबी ने यह कार्रवाई की है.
जांच के दौरान दोनों पर गड़बड़ी में शामिल होने के आरोप भी सही पाये गये थे. आरके आनंद की संलिप्तता के बारे एसीबी को साक्ष्य मिले थे कि इवेंट मैनेजमेंट की एक कंपनी जिसे काम आवंटित हो चुका था, उसके टेंडर को बिना रद्द किये सरकारी की नीति के बाहर जाकर दूसरी कंपनी को काम दे दिया था. वहीं, दूसरी ओर बतौर खेल मंत्री टेंडर समिति से निविदा के लिए जो भी फाइल बंधु तिर्की के पास भेजी जाती थी, उस पर अंतिम अनुमोदन उनका होता था. उसके बाद ही किसी कंपनी को टेंडर दिया जाता था
मुख्यमंत्री के भी सारे अधिकारी खेल मंत्री को प्रदान किये गये थे. इसलिए उनके पास ही टेंडर से जुड़ी फाइलों को अंतिम स्वीकृति के लिए भेजा जाता था. पूर्व की जांच में टेंडर में गड़बड़ी की बात सामने आ चुकी है. इसलिए मामले में बंधु तिर्की को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया गया है.
दो स्कवैश कोर्ट के निर्माण में वित्तीय अनियमितता
धनबाद में दो स्कवैश कोर्ट के निर्माण से संबंधित वित्तीय अनियमितता हुई थी. दोनों स्कवैश कोर्ट निर्माण का काम मुंबई की एक कंपनी को दिया गया था.
कंपनी ने स्कवैश कोर्ट निर्माण के लिए 1,44,32,850 रुपये का प्राक्कलन प्रस्तुत किया. एसएम हाशमी ने चार अक्तूबर 2008 को कला संस्कृति विभाग के सचिव को प्राक्कलित राशि का आवंटन स्कवैश रैकेट फेडरेशन ऑफ इंडिया को करने का अनुरोध किया. उक्त प्रस्ताव पर निदेशक एवं सचिव की अनुशंसा के बाद विभागीय मंत्री के पास अनुमोदन के फाइल भेजी गयी. संबंधित फाइल पर 20 अक्तूबर 2008 को तत्कालीन खेलमंत्री बुधु तिर्की ने अनुमोदित कर दिया था, जिसके आधार पर बाद में कंपनी को स्कवैश कोर्ट निर्माण के लिए उक्त राशि के भुगतान का नीतिगत निर्णय लिया गया.
बाद में 11 दिसंबर 2008 को स्कवैश फेडरेशन ने हाशमी को पत्र लिख कर अनुरोध किया गया कि राशि सीधे जाइरेक्स कंपनी को उपलब्ध करायी जाये. उक्त पत्र के बाद तत्कालीन सचिव ने निदेशक को निर्देश दिया था कि एनजीओसी की कार्यकारिणी कमेटी से निर्णय की प्रत्याशा में अविलंब कार्रवाई की जाये और घटनोत्तर स्वीकृति ले ली जाये. इसके बाद कंपनी को अग्रिम 50 लाख दिया गया. लेकिन बाद में रुपये भुगतान से संबंधित घटनोत्तर स्वीकृति नहीं ली गयी. जिसके कारण मामले में वित्तीय अनियमितता की बात सामने आयी थी.

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